देखिए राजगीर वीरायतन की अमानवीयता, कोरोना काल में 22 कर्मियों को हटाया

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राजगीर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन क्षेत्र नालंदा जिले के राजगीर में एक तरफ जहां सरकारी संसाधनों-सुविधाओं के बल वीरायतन जैसी संस्था भारी मुनाफा कमा रही है, वहीं भारत-बिहार सरकार की अपील एवं विभागीय आदेश-निर्देशों के बाबजूद कोरोना जैसी आपातकाल में एक साथ 22 स्थाई-अस्थाई कर्मियों को बर्खास्त कर दिया है।

वीरायतन द्वारा 3 चिकित्सक एवं 19 कर्मचारियों को बर्खास्त करने के पीछे बड़ी हास्यास्पद दलील दी है। 

VIRAYTAN RAJGIR 2वीरायतन के प्रबंधक ने वीरायतन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष को कार्यालय पत्रांक-VKS003/2020 दिनांकः 13.07.2020 दिए प्रतिउत्तर में लिखा है कि सर्वव्यापी महामारी कोविड-19 के सभी संस्थान एवं व्यक्ति पूरे विश्व के साथ-साथ हमारे देश में बुरी तरह से प्रभावित है। वीरायतन संस्था भी इससे अछूता नहीं है। वीरायतन संस्था इस आपदा एवं महामारी से पूरी तरह ग्रसित है।

प्रबंधक ने आगे लिखा है कि पिछले चार माह से वीरायतन राजगीर के प्रांगन में होने वाली सभी गतिविधियां पूरण रुप से ठप है। जैसे- अस्पताल, गेस्ट हाउस, म्यूजियम, भोजनालय, इत्यादि। जिसके कारण घोर आर्थिक संकट पैदा हो गई है, क्योंकि आय/दान के सभी स्रोत बंद हो गए हैं।

प्रबंधक के अनुसार सर्वव्यापी महामारी कोविड-19 का संक्रमण प्रति दिन पूरे देश, बिहार और नालंदा में बढ़ता ही जा रहा है, जिससे उत्पन्न आर्थिक एवं अन्य समस्याओं का निवारण निकट भविष्य में प्रतीत होता नहीं दिख रहा है।

जबकि भारत सरकार का सख्त निर्देश है कि कोरोना काल में किसी भी स्थाई-अस्थाई कर्मचारियों का वेतन में कटौती करना एवं कर्मचारियों को कार्य से वर्खास्त करना राष्ट्रीय आपदा अधिनियम का विरोध माना जाएगा।

इधर बिहार सरकार के श्रम संसाधन विभाग ने भी कार्यालय पत्रांक-1155, दिनांकः 28.04.2020 द्वारा आदेश जारी कर रखा है कि कोरोना संक्रमण के फलस्वरुप देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान विभिन् प्रतिष्ठानों द्वारा कार्य कराया जाना पूर्णतः बंद है। सरकार को विभिन्न माध्ययमों से सूचना मिल रही है कि कुछ प्रतिष्ठान में कार्य करने वाले श्रमिकों को या तो कार्य से हटाया जा रहा है या उन्हें इस अवधि का वेतन नहीं दिया जा रहा है।

भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा भी सभी राज्यों को निर्देश प्राप्त है कि किसी भी स्थापना में कार्यरत कामगारों को न तो सेवा से हटाया जाएगा और न ही उनके वेतन की कटौती होगी।

राज्य सरकार का स्पष्ट आदेश है कि विभाग के नियंत्रणाधीन संविदा/आउटसोर्सिंग अथवा अन्य माध्यमों से कार्यरत कर्मियों को लॉकडाउन की स्थिति में न तो कार्य से हटाया जाए और न ही उनके वेतन की कटौती की जाए। यदि कोई कर्मी लॉकडाउन के कारण कार्यालय से अनुपस्थित रहा हो तो उन्हें इस अवधि में कर्तव्य पर मानते हुए वेतन का भुगतान किया जाए।

जाहिर है कि सरकारी संसाधनों-सुविधाओं का दोहन कर करोड़ों मुनाफा कमाने वाली वीरायत जैसी संस्था द्वारा कोरोना जैसी राष्ट्रीय आपदा के समय एकमुश्त चुनिंदा कर्मियों को हटाया जाना अमानवीयता की हद है।