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    Wednesday, April 24, 2024
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      सदर अस्पताल ने कहा कोविड नेगेटिव, मरीज ने लिया दोनों वैक्सीन डोज, TMH में हुई मौत तो पॉजेटिव बता शव देने से किया इंकार, दोषी कौन?

      जमशेदपुर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। कोरोना महामारी के दूसरे लहर में अजीबोगरीब हालात सामने आ रहे हैं। इसमें ना, तो कोई लक्षण दिख रहा है, न मरीज गम्भीर रूप से बीमार पड़ रहा है। इतना ही नहीं, बगैर ट्रैवल हिस्ट्री वाला मरीज वैक्सीन का दोनों डोज लेने के बाद 8 घंटे के भीतर कोरोना संक्रमित होता है और अस्पताल मृत घोषित कर देता है।

      Sadar Hospital said Kovid Negative patient took both vaccine doses died in TMCH then refused to give dead body as positive who was guilty 1मामला जमशेदपुर के टीएमएच और सरायकेला सदर अस्पताल के बीच का है। लापरवाही किसकी है ये बताने के लिए कोई तैयार नहीं। मरीज के परिजन रो-गाकर कोरोना गाइडलाइन के तहत शव का दाह संस्कार कर किस्मत का रोना रोने को विवश हैं।

      दरअसल, सरायकेला जिले के शिमुला निवासी 65 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक को सांस लेने में तकलीफ होने की शिकायत के बाद 9 अप्रैल की रात 7 बजे सरायकेला सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

      सेवानिवृत्त शिक्षक ने कोरोना वैक्सीन की दोनो डोज का कोर्स पूरा कर लिया था। अस्पताल प्रशासन ने कोविड-19 जांच भी किया जहां रिपोर्ट नेगेटिव पाया।

      उसके बाद स्थिति की गंभीरता को देखते हुए टाटा मुख्य अस्पताल रेफर कर दिया। जहां शनिवार दोपहर लगभग 1:30 बजे के आसपास चिकित्सकों शिक्षक को मृत घोषित कर दिया।

      अस्पताल प्रशासन ने मृतक को कोरोना पॉजिटिव घोषित करते हुए बगैर सरकारी प्रक्रिया पूर्ण किए शव देने से मना कर दिया। वहीं परिजन कोरोना संक्रमित होने की बात से इनकार करते हुए हंगामा शुरू कर दिया, जिसके बाद अस्पताल में मौजूद दंडाधिकारी और पुलिसकर्मियों ने किसी तरह मामला शांत कराया।

      परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए कोरोना संक्रमित होने का मनगढ़ंत रिपोर्ट देने का आरोप अस्पताल प्रशासन पर लगाया।

      परिजनों ने बताया, कि आखिर कोरोना वैक्सीन का दोनों डोज लेने और सदर अस्पताल की रिपोर्ट में मरीज के निगेटिव घोषित किए जाने के महज कुछ ही घंटों के भीतर बगैर किसी ट्रैवल हिस्ट्री के मरीज कैसे कोरोना संक्रमित हो गया।

      हालांकि, प्रशासनिक सख्ती और बगैर किसी राजनीतिक पैरवी के मरीज के परिजनों ने थक हारकर कोविड-19 के गाइडलाइन के तहत शव प्राप्त कर अंतिम संस्कार जमशेदपुर के स्वर्णरेखा बर्निंग घाट में किया और अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहा कर वापस अपने गांव लौट गए।

      ऐसे में सवाल उठना लाजमि है कि आखिर जिस स्वदेशी वैक्सीन को कोरोना के खिलाफ जारी जंग के लिए पीएम से लेकर सीएम, डीएम से लेकर सीएस तक सुरक्षित बता रहे हैं, उस स्वदेशी वैक्सीन को लेने के बाद अगर मरीज की मौत कोरोना से हो रही है तो फिर वैक्सीन के सफल होने के दावों में कितनी सच्चाई है। या फिर कोरोना के नाम पर मरीजों के की उचित ईलाज के साथ खिलवाड़ हो रहा है, उसका जिम्मेवार कौन है?

      हालांकि सरायकेला खरसावां जिले में यह दूसरी घटना है। जब कोरोना वैक्सीन लेने के बाद किसी मरीज की मौत हुई है। पहला मामला कांड्रा के एक जनप्रतिनिधि के पति का था, जिनकी मौत कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद मौत हो गई थी।

      हालांकि अब तक प्रशासनिक स्तर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि इस मामले में क्या होता है।

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