हाईकोर्ट के आदेश को ठेंगे पर रखता है राजगीर थानेदार

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patna high court rajgir police nalanda 1एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क (नारायण विश्वकर्मा)। अतिक्रमित जमीन को मुक्त कर जमीन मालिक को दखल दिलाने के मामले को राजगीर थाना दस साल से उलझाये हुए है। पटना हाईकोर्ट ने 2011 में ही जमीन खाली करने का आदेश दिया था। मामला राजगीर थाने से मालखाना खाली कराने का है।

मालखाना खाली होने से ही अतिक्रमित जमीन मुक्त हो पायेगी। कोर्ट ने इसे अतिक्रमित भूमि बता कर जमीन मालिक के पक्ष में दस साल पूर्व फैसला सुनाया था।

राजगीर थाना को मालखाना खाली कर जमीन मालिक को वापस करना है. लेकिन थाना प्रभारी हाईकोर्ट के आदेश को अबतक ठेंगा ही दिखा रहा है। 

सीडब्ल्यूजेसी नं. 5682/2008, हरिकांत झा बनाम राज्य सरकार, (3738, 23 दिसंबर 2011) के पारित आदेश का पालन राजगीर (नालंदा) के थाना प्रभारी को करना है। लेकिन लंबे समय से पत्राचार के जरिये मामले को लटकाने का दौर जारी है।

राजगीर के अंचलाधिकारी ने राजगीर के अनुमंडल दण्डाधिकारी को 24 जनवरी 2012 को पत्र लिखा, जिसमें हाईकोर्ट के आदेश का पालन सुनिश्चित कराने का अनुरोध किया।

16 नवंबर 2017 को नालंदा के जिलाधिकारी ने अंचलाधिकारी को सीमांकन के लिए लिखा। 12 दिसंबर को राजगीर के थाना प्रभारी की उपस्थिति में जमीन का सीमांकन करा दिया गया।

इससे पूर्व 2 दिसंबर 2014 को भी अंचल अमीन द्वारा जमीन की मापी करायी गयी थी। इसके दो साल बाद राजगीर के एसडीओ ने 12 फरवरी 2019 को आवश्यक कार्यवाही के लिए राजगीर थाने को लिखा।

कार्यवाही नहीं होने पर थक-हार कर इस मामले में आरटीआई के तहत सूचना मांगी गयी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

आरटीआई कार्यकर्ता ने लिखा कि 28 मई 2019 को नालंदा के एसपी को लिखा गया कि कानून के रखवाले ही कानून का उल्लंघन कर रहे हैं। आवेदक ने हाइकोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहे राजगीर के थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।  

पटना हाइकोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए नालंदा के एसडीओ, एसडीपीओ, सीओ और थाना प्रभारी के बीच एक-दूसरे पर फेकाफेंकी की कार्यवाही जारी है। यानी सिर्फ पत्राचार का खेल चल रहा है।

अंततः कई पत्राचार के बाद फिर आरटीआइ कार्यकर्ता चंद्रशेखर प्रसाद को 12 मार्च 2020 को राजगीर थाने से जवाब मिला कि आपके द्वारा मांगी गयी सूचना के मुताबिक अंचलाधिकारी की रिपार्ट से संबंधित कार्रवाई का अनुपालन किया जा रहा है। इस बीच तीन माह और गुजर गये। लेकिन अभी तक हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं हो पाया है।

चूंकि मामला थाना से ही जुड़ा हुआ है। हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार राजगीर थाने परिसर में जो मालखाना है, उसे खाली कर जमीन मालिक को वापस करना है।

बताया जाता है कि थाना प्रभारी अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं। वह मालखाना खाली करने के लिए तैयार नहीं है।

सवाल उठता है कि सुशासन बाबू के राज में अगर कानून ही कानून का पालन नहीं करेगा, तो फिर सुशासन का क्या अर्थ रह जायेगा? जमीन मालिक को लगा कि जब हाईकोर्ट ने फैसला उसके पक्ष में दिया है, तो उसे अतिक्रमित जमीन वापस हो जायेगी।

बहरहाल, अब देखना है कि कबतक जमीन मालिक को इंसाफ मिलता है या उसे जिंदगी भर इंतजार ही करना पड़ेगा।