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    Thursday, November 21, 2024
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      Irony: 33 साल तक चली दहेज हत्या की सुनवाई के बाद सास को मिला न्याय !

      पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। Irony: करीब 33 पहले एक बहू की दहेज के लिए हत्या मामले में आरोपित 75 वर्षीय सास अनारो देवी को अंततः गोपालगंज कोर्ट ने दोषमुक्त करार दिया। इस बीच बुजुर्ग महिला तारीख दर तारीख न्यायालय के चक्कर लगातीं रहीं। इस दहेज हत्याकांड में आरोपित मृतका के पति व ससुर की मौत हो चुकी है।

      वहीं बीते सोमवार को अंतिम सुनवाई करते हुए गोपालगंज कोर्ट के एडीजे-10 मानवेंद्र मिश्र की अदालत ने अंततः न्याय करते हुए पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में महज टीवी के लिए बहू की हत्या के आरोपित अनारो देवी को बाइज्जत बरी कर दिया।

      21 जून 1991 को यानि 33 साल पहले लगा था आरोपः अनारो देवी पर 21 जून 1991 को यानि 33 साल पहले सविता देवी की दहेज के लिए हत्या का आरोप लगा था। इस संबंध में गोपालगंज जिला के बैकुंठपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कारई गई थी। इस मामले में मृतका के पति विजय पाठक, ससुर रामाकांत पाठक तथा सास अनारो देवी को नामजद किया गया था।

      इस आपराधिक मामले में आरोप पत्र आने के बाद सत्र न्यायालय में सुनवाई प्रारंभ हुई। इस बीच अभियोजन पक्ष की ओर से कुल दस साक्षियों को अदालत में प्रस्तुत किया गया। सुनवाई के दौरान ही मृत महिला के पति विजय पाठक व ससुर रामाकांत पाठक की मृत्यु हो गई।

      अदालत में प्रस्तुत हुए दस साक्षियों में से सात मुकर गए। शेष तीन साक्षियों ने घटना को आंखों से देखा नहीं था। केवल सुनने के आधार पर वे साक्ष्य के लिए अदालत में उपस्थित हुए थे।

      सुनवाई पूरी होने के बाद गोपालगंज कोर्ट के एडीजे-10 मानवेंद्र मिश्र की अदालत ने एकमात्र जीवित बची आरोपित अनारो देवी को बरी करने का आदेश दिया।

      बरी होने के बाद महिला ने कहा कि कोर्ट ने इंसाफ किया। उसके सिर से दहेज हत्या का कलंक मिट गया। इस मामले में सरकार की ओर से एपीपी जयराम साह व बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रेमचंद प्रसाद व मनोज कुमार शर्मा ने बहस की।

      दहेज में टीवी के लिए हत्या का था आरोपः सविता बैकुंठपुर थाना के दिघवा गांव के ललन पांडेय की पुत्री थी। उन्होंने सविता की शादी 11 मार्च 1991 को सोनवलिया के विजय पाठक से की थी। उन्होंने 21 जून 1991 को दहेज में टेलीविजन नहीं देने के कारण पुत्री के शरीर में आग लगाकर मार डालने का आरोप लगा प्राथमिकी कराई थी। जिसमें पुत्री के पति विजय पाठक, ससुर रामाकांत पाठक व सास अनारो देवी को के आरोपित किया था।

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