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खिलते ही मुरझाया अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी, यहां धर्म-कर्म और रोजी-रोजगार सब सन्न  

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अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर को एक बार फिर कोरोना की मार झेलनी पड़ी है। पिछले साल कोरोना की मार से राजगीर पूरी तरह उबरा भी नहीं था कि यहाँ के लोग पुनः वैश्विक महामारी के दंश झेलने को विवश हो गए हैं

राजगीर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज / नीरज कुमार)। पिछले महीने ही सीएम नीतीश कुमार ने राजगीर को ग्लास ब्रिज और नेचर सफारी की सौगात दी थी। उसके बाद से देशी विदेशी पर्यटकों से शहर गुलजार होने लगा था। बड़ी संख्या में पर्यटकों का आना शुरू हुआ था।

Rajgir blossomed as soon as it bloomed here religion and work and livelihood all stunned 3लेकिन एक सप्ताह बाद ही कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण राजगीर के नेचर सफारी सहित अन्य दर्शनीय स्थलों को बंद कर दिया गया।

उसके बाद से अचानक राजगीर में पर्यटकों की संख्या में बेतहाशा कमी हो गई। अचानक पर्यटकों से गुलजार रहने वाला शहर में खामोशी छाई हुई है।

अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल, राजगीर के अलावा नालंदा खंडहर, पावापुरी, कुंडलपुर, विश्व शांति स्तूप, रोपवे विभिन्न कुंडों में सन्नाटा पसरा हुआ है।

पर्यटकों के नहीं आने से स्थानीय दुकानदारों के व्यवसाय पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ा है। यहां तक होटल व्यवसाय भी प्रभावित हुआ है।  साथ ही टमटम चालकों की भी कमाई बंद हो गई।

स्थानीय दुकानदार अजीत कुमार का कहना है कोरोना की वजह से हम लोगों ने पिछले साल भी मार झेलनी थी और इस बार भी झेलनी पड़ रही है। यहां के सभी दुकानों का यही हाल है।

कमाई बंद हो गई है। आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। पेट का सवाल है। आखिर करें तो क्या। उपर से शाम सात बजे ही दुकान बंद कर देने का प्रशासनिक फ़रमान है।

वहीं एक अन्य दुकानदार मंटू राम का कहना है कि बिक्री प्रभावित हो गई है। कोरोना का प्रभाव दुकानदारी पर भी पड़ा है। पर्यटकों की आवक बंद है। स्थानीय लोग बाजार कम निकलते हैं।

राजगीर में बर्मीज टेम्प्ल, नेचर सफारी, आठ सीटर रोप वे आदि बंद है तो वहीं वन सिटर रोप वे चालू है। जबकि गर्म कुंड, शीतल कुंड  में तालाबंदी के बाद स्थानीय पंडा और दुकानदारों में काफी मायूसी छा गई है।

पंडा पवन कुमार उपाध्याय कोरोना का रोना रो रहे हैं, उनका कहना है फिर से मंदिरों और राजगीर के कुंडों को बंद कर दिये जाने के बाद देशी विदेशी सैलानी नहीं आ रहें हैं। ऐसे में परिवार के भरण पोषण के लिए सोचना पड़ेगा।

आदेश के बाद पर्यटकों से गुलजार रहनेवाला राजगीर की सड़कों पर वीरानी छा गयी है। चहुओर सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। कुछ पर्यटक आते भी है तो उन्हें बिना कुंड स्नान किये बापस घर लौटना पड़ रहा है।

कोरोना संक्रमण की वजह से अंतर्ष्ट्रीराय पर्यटन स्थल, राजगीर के लोगों को एक बार फिर से संकट का सामना करना पड़ रहा है। उनके सामने अनिश्चिय की स्थिति है आखिर कब तक वे कोरोना की मार झेलते रहेंगे।

वहीं राजगीर के विभिन्न पर्यटन स्थलों के बंद कर दिए जाने से सरकार को हर माह करोड़ों रूपए के राजस्व का नुक़सान उठाना पड़ रहा है। लेकिन कोराना काल में लोग करे भी तो क्या करें। एक तरफ भूख और मौत का खौफ तो दूसरी तरफ शासनिक बंदिंशें…..

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