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Indore Bhojshala Kamal Maula Mosque: विवादित परिसर से मिलीं देवी-देवताओं की 94 मूर्तियां

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Indore Bhojshala Kamal Maula Mosque: 94 idols of gods and goddesses found from the disputed complex

इंदौर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। इंदौर पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने विवादित भोजशाला कमाल-मौला मस्जिद (Indore Bhojshala Kamal Maula Mosque) परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट मध्यप्रदेश हाइकोर्ट की इंदौर पीठ को सौंप दी है। 2,000 से अधिक पन्नों की रिपोर्ट में भोजशाला के खंभों पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्ति और निशान का जिक्र किया गया है। जांच के दौरान श्रीकृष्ण, शिव, जटाधारी भोलेनाथ, ब्रह्मा समेत देवी-देवताओं की 94 मूर्तियां मिली हैं।

अपनी रिपोर्ट में एएसआइ ने कहा कि है कि परिसर से चांदी, तांबे, एल्यूमीनियम और स्टील के कुल 31 सिक्के पाये गये। इन सिक्कों को 10वीं सदी का बताया गया है। इसके अलावा यह भी दावा किया गया कि कुछ सिक्के उस समय के भी हैं, जब परमार राजा धार में अपनी राजधानी के साथ मालवा में शासन कर रहे थे।

गौरतलब है कि ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक संगठन की अर्जी पर 11 मार्च को इंदौर हाइकोर्ट ने धार भोजशाला का एएसआइ की देखरेख में वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था। सर्वेक्षण 22 मार्च से शुरू हुआ, जो 27 जून तक यानी 98 दिनों तक किया गया। सर्वे के दौरान एएसआइ की टीम ने खुदाई भी की। इस दौरान पूरे सर्वे की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की गयी।

क्या है धार भोजशाला विवादः राजा भोज परमार राजवंश के सबसे बड़े शासक थे। उन्होंने धार में यूनिवर्सिटी की स्थापना की। इसे बाद में भोजशाला के रूप में जाना जाने लगा।

अलाउद्दीन खिलजी ने 1305 ईस्वी में भोजशाला को नष्ट कर दिया था। वहीं 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में एक मस्जिद का निर्माण करवाया।

1875 में खुदाई करने पर यहां से मां सरस्वती की एक मूर्ति निकली थी। हिंदू पक्ष भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष 11 वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है।

याचिका सूचीबद्ध करने पर सुप्रीम कोर्ट सहमतः सुप्रीम कोर्ट ने भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के खिलाफ याचिका सूचीबद्ध करने पर विचार करने को लेकर सहमति जतायी। भोजशाला पर हिंदू और मुसलमान दोनों अपना दावा करते हैं।

‘मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी’ ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के 11 मार्च के आदेश को चुनौती दी गयी थी, जिसमें पूजा स्थल का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया गया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह किस समुदाय का है।

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