एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। देश के पहले विजुअली चैलेंज्ड 2007 बैच के आईएएस अफसर राजेश कुमार सिंह ने बोकारो समाहरणालय सभाकक्ष में डीसी के रुप में पदभार ग्रहण करते हुए निवर्तमान डीसी मुकेश कुमार से चार्ज लिया। वे मूलतः बिहार राज्य के पटना जिला के धनरुआ के रहने वाले हैं।
डीसी राजेश कुमार सिंह ने आगे कहा कि “अगर आप के हौसले मजबूत हैं तथा लक्ष्य निर्धारित है तो विजुअली चैलेंज्ड होना कोई अभिशाप नहीं वरदान है। भारत में डायवर्सिटी की एक अलग पहचान है। असमानता के बावजूद भी जो इस कसौटी पर बेहतर तरीके से मुकाम हासिल करते हैं वह विशेष कहलाते हैं।
मुझे विजुअली चैलेंज्ड कमजोरी के रूप में नहीं दिखती, बल्कि यह मुझे अन्य लोगों से भिन्न बनाती है। ताकि मैं एक समान सभी को समान अधिकार दिला सकूं। लक्ष्य निर्धारण करते वक्त मुझे किसी का चेहरा नहीं दिखाई देता, बल्कि मैं लक्ष्य को लेकर ही चलता हूं।
डीसी का चार्ज सौंपने के बाद मुकेश कुमार ने कहा, “सेवा के दौरान अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग एक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में हम अपने सेवा के दौरान अधिक से अधिक लोगों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने का कार्य करते हैं। आने वाले दिनों में बोकारो के नये डीसी भी उसी सेवा तथा निष्ठा भाव से बोकारो वासियों की सेवा करेंगे जिस सेवा भावना से मैंने अब तक किया है”।
डीसी के पदभार ग्रहण करने के दौरान डीडीसी, एसी एसडीएम चास, एसडीएम तेनुघाट-बेरमो, जिला सामाजिक सुरक्षा अधिकारी, उप निर्वाचन पदाधिकारी समेत जिला स्तर के सभी पदाधिकारियों कर्मी उपस्थित थे।
देश के पहले विजुअली चैलेंज्ड आईएएस अफसर राजेश सिंह को बोकारो का नया डीसी बनाया गया है। यह गौरव हासिल करने वाले वह देश के पहले आईएएस अफसर हैं।
राजेश ने इनसे एक कदमम लंबी छलांग लगाते हुए जिले का मुखिया बनने तक का सफर तय किया है। इससे पहले राजेश सिंह उच्च शिक्षा विभाग में विशेष सचिव के पद पर कार्यरत थे।
विजुअली चैलेंज्ड राजेश कुमार सिंह बिहार के पटना के धनरूआ के रहने वाले हैं। बचपन में ही क्रिकेट खेलते के दौरान हुए एक हादसे में राजेश के आंखों की रोशनी चली गई थी।
आईएएस बनने के बाद भी तमाम अड़चनें आयी, लेकिन लंबी कानूनी लड़ाई के बाद उन्होंने आईएएस बनने में सफलता हासिल की। लेकिन उनकी नियुक्ति लंबी कानूनी लड़ाई के बाद वर्ष 2011 में हो पाई।
राजेश सिंह की तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की बेटी डॉ. उपेंद्र सिंह से मुलाकात हुई। उपेंद्र सेंट स्टीफंस कॉलेज मे पढ़ाती थीं। उन्होंने राजेश को डॉ. मनमोहन सिंह से मिलवाया था। पीएम से मिलने के बाद राजेश सिंह सुप्रीम कोर्ट गये।
सुप्रीम कोर्ट में उनके मामले की सुनवाई तत्कालीन सीजे अल्तमस कबीर और जस्टिस अभिजीत पटनायक की बेंच ने की। कोर्ट ने सेंट्रल गवर्नमेंट को राजेश सिंह की नियुक्ति करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने फैसले में यह टिप्पणी भी की कि आईएएस के लिए दृष्टि नहीं दृष्टिकोण की जरूरत होती है। गवर्नमेंट ने राजेश सिंह की नियुक्ति की। राजेश सिंह को झारखंड कैडर मिला।