Home दो टूक TRE-1 और TRE-2 के अभ्यर्थी अबतक झेल रहे हैं  BPSC नियुक्ति प्रक्रियाओं...

TRE-1 और TRE-2 के अभ्यर्थी अबतक झेल रहे हैं  BPSC नियुक्ति प्रक्रियाओं का झोल

Candidates of TRE-1 and TRE-2 are still facing the confusion of BPSC recruitment process
Candidates of TRE-1 and TRE-2 are still facing the confusion of BPSC recruitment process

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) और शिक्षा विभाग की लापरवाही और अनियमितताओं का शिकार बने कई शिक्षक आज मानसिक तनाव में हैं, जिनमें से कुछ ने आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठाने की कोशिश की है। जिन शिक्षकों की नौकरी खतरे में है, उनमें से अधिकतर की सीधे तौर पर कोई गलती नहीं मानी जा सकती है।

5% छूट पर महिला अभ्यर्थियों का चयन, फिर फर्जी करार

BPSC और शिक्षा विभाग की लापरवाही का सबसे बड़ा उदाहरण महिला अभ्यर्थियों के मामले में सामने आया है। विभाग ने शुरू में महिला अभ्यर्थियों को 5% अंकों की छूट दी और उनका चयन किया।

लेकिन, अब विभाग अपनी गलती छिपाने के लिए उन्हीं अभ्यर्थियों को फर्जी घोषित कर रहा है। यह स्थिति उन महिलाओं के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो गई है, जिन्होंने 10 महीने तक नौकरी की और अब अचानक नौकरी से बेदखल किए जाने के डर में जी रही हैं।

अनियमितताओं की लड़ी, नौकरी में नियम बदलते रहे

BPSC के पूर्व चेयरमैन ने तेजी से काम करने और अपनी पीठ थपथपाने के अलावा कोई ठोस कार्य नहीं किया। विभिन्न मुद्दों में अनियमितताएं देखने को मिलीं:

  • भाषा अनिवार्यता का समाप्त होना: भाषा के मापदंडों में बदलाव ने योग्य अभ्यर्थियों के भविष्य को संकट में डाल दिया।
  • कंप्यूटर साइंस में फर्जी बहाली: बिना जांच के बड़ी संख्या में नियुक्तियां की गईं, जिनमें से कई फर्जी पाई गईं।
  • सप्लीमेंट्री घोटाला: सप्लीमेंट्री परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आईं, जिससे कई योग्य अभ्यर्थियों का हक मारा गया।
  • TRE-1 में बाहरी STET वालों को अनुमति: बाहरी उम्मीदवारों को TRE-1 में प्रवेश देकर स्थानीय अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया गया।
  • 50 बार नियम बदलने का खेल: भर्ती प्रक्रिया के नियम बार-बार बदलते रहे, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय की कमी रही।

मानसिक तनाव के बढ़ते मामले

इन अनियमितताओं और भ्रामक नीतियों के कारण कई योग्य अभ्यर्थी मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं। 10 महीने तक सेवा करने के बाद अचानक नौकरी छिनने का डर उन्हें आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठाने पर मजबूर कर रहा है। विभाग द्वारा किए गए अन्याय और पारदर्शिता की कमी ने शिक्षकों की मानसिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया है।

वेशक बीपीएससी और शिक्षा विभाग की लापरवाही का खामियाजा आज सैकड़ों शिक्षकों और अभ्यर्थियों को भुगतना पड़ रहा है। शिक्षा विभाग की नियुक्ति प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं और पारदर्शिता की कमी ने कई लोगों के जीवन को संकट में डाल दिया है।

इससीलिए यह जरूरी हो गया है कि सरकार इस मामले की गहन जांच करे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई तय करे, ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो और योग्य अभ्यर्थियों का हक सुरक्षित रहे।

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

error: Content is protected !!
Exit mobile version