
झारखंड में मिला उड़ने वाला तक्षक नाग, जिसने राजा परीक्षित को काटा था!
रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। झारखंड के रांची जिले में पहली बार एक दुर्लभ प्रजाति के सांप ‘ओरनेट फ्लाइंग स्नेक’ (Ornate Flying Snake) का रेस्क्यू किया गया है। इसे आम बोलचाल में ‘तक्षक नाग’ भी कहा जाता है। इस अनोखे सांप को रेस्क्यू करने का श्रेय पिठोरिया के निवासी और 14 सालों से सांपों का रेस्क्यू कर रहे रमेश कुमार महतो को जाता है। रमेश ने इस सांप को राजधानी रांची के नामकुम आरसीएच कार्यालय में दवाओं के कार्टून से निकाला। यह सांप लगभग तीन फीट लंबा है और इसे झारखंड में पहली बार देखा गया है।
रमेश महतो ने बताया कि यह सांप अपनी ग्लाइडिंग क्षमता के कारण ‘उड़ने वाला सांप’ कहलाता है। यह 100 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक ‘S’ आकार में लहराते हुए ग्लाइड कर सकता है। यह सांप ज्यादातर पठारी क्षेत्रों और घने पेड़ों में पाया जाता है, जहां यह छिपकर रहता है। जमीन पर इसे बहुत कम देखा जाता है। इसका मुख्य भोजन छिपकलियां और कीड़े-मकोड़े हैं।
यह सांप भारत में रेयर कैटेगरी में आता है और विलुप्त होने के कगार पर है। बिरसा मुंडा जू के स्नैक हाउस में इसे संरक्षित किया जाएगा और इसके जेनेटिक अध्ययन पर शोध होगा। बिरसा जू के अनुसार यह सांप जहरीला तो है, लेकिन इसकी विषाक्तता इंसानों के लिए जानलेवा नहीं है। अब तक इस सांप द्वारा किसी को गंभीर नुकसान पहुंचाने की खबर नहीं है।
‘तक्षक नाग’ का जिक्र भारतीय पौराणिक कथाओं में मिलता है। विशेष रूप से यह नाम राजा परीक्षित की कहानी से जुड़ा है, जिन्हें तक्षक नाग ने काटा था। बंगाल की लोककथाओं में इसे ‘काल नागिन’ कहा जाता है, जिसे बेहद खतरनाक और रहस्यमयी माना जाता है।
तक्षक नाग को लेकर कई मिथक और कहानियां प्रचलित हैं-
पौराणिक संदर्भ: तक्षक को ऋषि कश्यप और कद्रु का पुत्र माना जाता है। राजा परीक्षित को काटने के बाद जनमेजय ने नागों के विनाश के लिए नागयज्ञ किया था।
विष कन्या का उल्लेख: कहा जाता है कि विष कन्याएं अपने गले में सुंदर तक्षक नागों को आभूषण की तरह रखती थीं। यह सांप जहरीला होते हुए भी जानलेवा नहीं था।
ग्लाइडिंग का रहस्य: पौराणिक कथाओं में इसे ‘उड़ने वाला नाग’ कहा गया है, जो वैज्ञानिक दृष्टि से इसकी ग्लाइडिंग क्षमता से मेल खाता है।
वेशक झारखंड में ओरनेट फ्लाइंग स्नेक का मिलना एक महत्वपूर्ण घटना है, जो सांपों के प्राकृतिक आवास और उनकी दुर्लभ प्रजातियों को संरक्षित करने की दिशा में अहम कदम हो सकता है। यह घटना हमें पौराणिक कथाओं और वैज्ञानिक शोध के बीच के अनूठे तालमेल को समझने का अवसर भी देती है।
रमेश महतो, जो स्वयं बिरसा जू के स्नैक कंसलटेंट हैं, उन्होंने इसे बचाकर न केवल एक सांप की जान बचाई है, बल्कि इस दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण और अध्ययन का मार्ग भी प्रशस्त किया है। जो झारखंड के जैव विविधता में यह एक नई खोज है। इसे संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।
वहीं ओरनेट फ्लाइंग स्नेक न केवल जैव विविधता का हिस्सा है, बल्कि पौराणिक और सांस्कृतिक कहानियों से भी गहराई से जुड़ा है। इस घटना ने यह साबित किया है कि प्रकृति के अनजाने पहलुओं को समझने और उनकी रक्षा करने के लिए हमारी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है।
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