“आखिर सीएम नीतिश कुमार के करीबी मंत्री श्रवण कुमार ने सार्वजनिक तौर पर किसी दल तक तो ठीक, किसी जाति विशेष के संबोधन किस ओछी मानसिकता के परिचायक है।”
दरअसल बात यह है कि सीएम नीतिश कुमार के गृह जिले के नालंदा विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित विधायक एवं मंत्री सिलाव में बंदी खत्म करने की पहल के बाद राजगीर पहुंचे।
वहां उनका सामना आमंत्रित खुदरा व्यवसायी संघ के अध्यक्ष निरंजन कुमार से हुई।
कहते हैं कि शो रुम के उद्घाटन के बाद सिलाव बाजार के बंद रहने चर्चा शुरु हुई।
इस दौरान मंत्री जी ने निरंजन जी से कहा, ‘इतनी बड़ी टीक रखते हैं, टीका लगाते हैं तो सिलाव क्यों नहीं जाते हैं। वहां तो सब बीजेपी वाला ही तो हल्ला-हंगामा करके बंद किये हुये है। और डीहपर के वाभन और सुरुमपुर के राजपूत सबको दुकान खोलने नहीं दे रहा है और कहा कि खोलने आवोगे तो चुतड़ लाल कर देगें।’
इतना सुनने के बाद निरंजन जी ने मंत्री जी से कहा, ‘शर्म नहीं आती है आपको कि इतन बड़े महत्वपूर्ण पद पर बैठे हैं और इस तरह की बात करे हैं आप। आपको तो खुद पहले पहल करनी चाहिये थी। और मैं सिलाव उपद्रव के मामले में सरकार को दोष नहीं देता हूं, यहां के प्रशासन को दोष देता हूं, जो इस मामले में अड़ियल रवैया अपनाये हुये हैं। स्थानीय प्रशासन कहता है कि किसी से कोई बात नहीं करेगें। अपने सब भूखे मरने लगेगा तो दुकान खोलेगा।’
इस पर मंत्री जी की मानसिकता तो देखिये। उनका कहना था, ‘हमको का प्रधानमंत्री बनना है कि हम इतना सोचेगें और करेगें।’ जिस समय व्यवसायी निरंजन जी से मंत्री जी अनर्गल बार्तालाप कर रहे थे, उस समय अनेक आम लोग भी मौजूद थे।
आखिर सीएम नीतिश कुमार के करीबी मंत्री श्रवण कुमार ने सार्वजनिक तौर पर किसी दल तक तो ठीक, किसी जाति विशेष के संबोधन किस ओछी मानसिकता के परिचायक है।
इस सबाल की चर्चा जहां राजगीर के चौक चौराहों तक आ गई है, वहीं शर्मनाक टिप्पणी से जाति विशेष के लोगों में भी काफी क्षोभ देखने को मिल रहा है।