“निगरानी टीम प्रथम दृष्टया मान रही है कि बहाली में फर्जीबाड़ा की गई है। इस कारण दस्तावेज देने में लापरवाही बरती जा रही है। जिस तरह पंचायत शिक्षकों की बहाली में गड़बड़ी के लिए मुखिया के साथ ही पंचायत सचिव दोषी ठहराये जाएंगे, उसी प्रकार प्रखंड शिक्षकों की बहाली में फर्जीवाड़े के लिए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ) के साथ ही बीडीओ भी दोषी करार दिये जाएंगे। अभ्यर्थियों, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज होगी।”
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज ब्यूरो)। बिहार के नियोजित शिक्षक ‘समान काम-समान वेतन’ की मांग को लेकर सरकार के नाक में दम कर रखा है। वहीं दूसरी तरह शिक्षक नियोजन के 12 साल बाद भी सरकार न तो फर्जी शिक्षकों पर कोई कार्रवाई कर पाई है और न ही उन नियोजन इकाइयों का कुछ बाल बांका हो रहा है, जिनके यहां से शिक्षकों के फोल्डर गायब है।
सीएम नीतीश कुमार सोते जागते सिर्फ जीरो टॉलरेंस और सुशासन संग न्याय की बात करते हैं, लेकिन उन्हीं के शासन काल में राज्य के लगभग 72 हजार प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत करीब 52 हजार शिक्षकों के फोल्डर कहाँ गायब हो गए, इसकी जानकारी किसी को नहीं है।
यहां तक कि सीएम के गृह जिला नालंदा में भी लगभग चार हजार शिक्षकों के फोल्डर का कुछ अता-पता नहीं है। नियोजन इकाइयों में इन शिक्षकों की बहाली की नियमावली तथा डिग्रियां संबंधित जानकारी जिसे ‘फोल्डर’ के रूप में जाना जाता है, संबंधित जिला शिक्षा कार्यालय को उपलब्ध नहीं कराया गया है।
बिहार में व्यापक पैमाने पर फर्जी शिक्षकों की बहाली को लेकर पटना हाईकोर्ट के आदेश पर फर्जी डिग्री पर बहाल नियोजित शिक्षकों की मेधा जांच में सहयोग नहीं करने पर कुछ साल पूर्व लगभग 1800 नियोजन इकाईयों पर राज्य के विभिन्न थाना क्षेत्र में केस दर्ज कराया जा चुका है।
कुछ साल पहले लगभग दो लाख शिक्षकों के फोल्डर निगरानी को जांच के लिए उपलब्ध कराया जा चुका है। कुछ साल पहले निगरानी एसपी एस के चौधरी ने कड़ा रूख अख्तियार करते हुए जिले के सभी शिक्षा पदाधिकारियों की क्लास ली थी।
उन्होंने आदेश दिया था कि शिक्षा विभाग पहले फर्जी शिक्षकों की छंटाई कर मेधा सूची से मिलान कर सही तरीके से नियुक्त शिक्षकों के फोल्डर को निगरानी को उपलब्ध कराया जाए। उस समय फोल्डर के साथ मेधा सूची भी मांगी गई थी, जिसमें गलत तरीके से किसी अभ्यर्थी का नाम तो नहीं जोड़ा गया है। ऐसे लोगों की पहचान कर उन पर कार्रवाई का आदेश दिया गया था ।
नालंदा जिले में शिक्षक नियोजन की जांच निगरानी की टीम द्वारा सालों पूर्व से जारी है। जांच के दौरान नियोजन में गड़बड़ी के कई संकेत विभाग को मिले हैं। यहां लगभग साढ़े नौ हजार शिक्षकों में लगभग 4 हजार शिक्षकों के फोल्डर गायब है। प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया में जुट गई है।
फोल्डर जमा कराने के लिए जन प्रतिनिधियों को कई अल्टीमेटम दिया गया, बावजूद इसके शिक्षक प्रमाण-पत्रों का फोल्डर जमा नहीं कर रहे हैं। पंचायतों के मुखिया के साथ पंचायत सचिवों पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
इन पर आरोप है कि बहाल किए गए शिक्षकों के फोल्डर विजिलेंस की जांच टीम के पास जमा नहीं कराया है। इन प्रखंडों में बहाल 9500 फोल्डर में से 4000 शिक्षकों के फोल्डर जमा नहीं कराए हैं।
बहाली के बाद विभाग की मिलीभगत से फर्जी प्रमाण-पत्र हटाकर उसके जगह असली को डाल दिया। फोल्डर से इसका खुलासा होगा। पकड़े जाने के डर से शिक्षक फोल्डर जमा नहीं कर रहे हैं।
निगरानी टीम के प्रमुख बीएन सिंह ने बताया कि फोल्डर जमा नहीं करने वाले शिक्षकों के साथ नियोजन इकाई में शामिल जन प्रतिनिधियों और संबंधित अधिकारियों पर प्राथमिकी कराने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। नियोजन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का खुलासा हो सकता है।
जिले में अब तक 12 हजार से अधिक शिक्षकों का नियोजन कांट्रैक्ट के आधार पर किया गया है। इनमें चार हजार से अधिक के सर्टिफिकेट फर्जी निकलने की आशंका जतायी जा रही है।
सर्टिफिकेट जांच में जुटे विजिलेंस के अधिकारी ने बताया कि चार हजार से अधिक शिक्षकों पर कार्रवाई हो सकती है। वर्ष 2012 व उसके बाद की बहाली में फर्जीबाड़ा के अधिक मामले मिल रहे हैं।
कुछ नियोजित शिक्षक भी मानते हैं कि अगर सरकार की मंशा साफ है तो ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। अगर ऐसा होता है तो लाख से सवा लाख नियोजित शिक्षक पर गाज गिर सकती है।
अगर सरकार चाहती है कि उन्हें शिक्षकों को ‘समान काम के बदले समान वेतन’ देना चाहिए तो सरकार को फर्जी डिग्री पर बहाल शिक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।