बाबूलाल मरांडी  ने खुद खोल ली अपनी राजनीति की कलई !

    40वें दिन पहुंचे नेवरी, पीपड़ा चौड़ा की नहीं ली सुध !!

    -मुकेश भारतीय-

    रांची। वोट की राजनीति में नफा-नुकसान की बात हर कोई सोचता है। झाविमो लुप्रीमों बाबूलाल मरांडी घटना के चालीसवें दिन नेवरी गांव पहुंचे। वहां वे मृतक जमीन कारोबारी नसीम अंसारी के परिजनों से मिले और उन्होंने हत्यारों द्वारा बड़ी बेरहमी से हत्या करने तथा पुलिस की हत्यारों को पकड़ने में नाकामी पर गहरा रोष प्रकट किया।

    श्री मरांडी ने कहा कि नसीम की हत्या एक सुनियोजित शाजिश के तहत की गई है और हत्यारे को प्रशासनिक मदद मिल रही है। इस हत्याकांड में पुलिस की संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है।

    दूसरी तरफ नसीम अंसारी की हत्या के बाद नेवरी एवं आसपास के उपद्रवियों ने पीपरा चौड़ा (सीरत नगर) बस्ती के उन दर्जनों घरों में लूटपाट करने के बाद उसे आग के हवाले कर दिया गया, जिसके बशींदों को इस मामले से कोई लेना-देना नहीं था। इनका कसूर सिर्फ इतना था कि वे उस गांव के रहवासी थे, जहां हत्या के आरोपियों ने नसीम को रात अंधेरे एकांत में बुलाया और आपसी लेनदेन की तकरार के बाद तलवार से काट कर उसकी हत्या कर दी थी। पीपरा चौड़ा के पीडि़त लोगों के आंखो में आज भी इस सबाल की पीड़ा साफ झलकती है कि आखिर उनका कसूर क्या था कि उनका घर-बार लूट लिया गया। उसे आग के हवाले कर उनकी रोजी रोटी की हत्या कर दी गई।

    पीपरा चौड़ा के लोगों को जब मरांडी जी के नेवरी पहुंचने की भनक लगी तो वहां के पीड़ित लोगों को अहसास था कि उनके घावों पर भी मरहम लगाने जरुर पहंचेगें, यह सबाल रखेगें कि उनका कसूर क्या था? उनकी सुध कभी किसी ने क्यों नहीं ली? सिर्फ इसलिये कि उनमें अधिकांश बाहर से आकर बसे लोग हैं। आखिर अपराध और राजनीति की कसौटी पर मुसलमान भी बाहरी-भीतरी कैसे हो गये।

    इन सबालों पर बाबूलाल मरांडी भी निरुतर हो जाते। या फिर सच स्वीकार कर जाते तो  उसका असर उनके वोट बैंक पर पड़ते। ऐसे भी सच कुछ भी हो राजनीति का उसूल है कि वोट जिधर अधिक, उधर नेता की कृपा अधिक।

    नसीम अंसारी की हत्या का आरोप उसके ही जाकिर अंसारी, रज्जू खान सरीखे साथी जमीन दलालों पर है। पूरे घटना का निचोड़ यह है कि जमीन दलालों ने मिल कर साथी जमीन दलाल की हत्या कर दी। उसके बाद हत्या की आड़ में उपद्रवियों ने बाहरी-भीतरी की मानसिकता में पीपड़ा चौड़ा गांव के बेकसूरों पर कहर ढा दिया। पुलिस प्रशासन न तो अब तक हत्यारों का सुराग पा सकी है और न ही किसी उपद्रवियों को दबोचा है। अन्याय दोनों पक्षों के साथ हो रहा है। मरांडी सरीखे नेता मृतक नसीम के चालीसवें पर जितनी क्षोभ प्रकट की, पीपड़ा चौड़ा के पीड़ित लोगों के बीच जाकर उनकी पीड़ा से रुबरु तो हो ही सकते थे।

     

    error: Content is protected !!
    Exit mobile version