“मीडिया जगत में प्रेस शब्द का जितना अलग महत्व है, शासन-प्रशासन में उसका उतना ही अलग पहचान। बहुतेरे लोग या तो प्रेस के नाम पर अपराधिक कुकृत्य को अंजाम दे रहे हैं या फिर मीडिया में येन-केन-प्रकेरेन प्रवेश कर, चाहे उसे एक लाइन समाचार लिखना तक क्यों न आता हो। समय आ गया है कि पुलिस-प्रशासन के साथ समाज के जिम्मेवार लोग इसे गंभीरता से लें”।
-: मुकेश भारतीय :-
जब्त मारुति कार के आगे पीछे अंग्रेजी के बड़े-बड़े अक्षरों में प्रचलित प्रेस शब्द लिखा हुआ था। जाहिर है कि कोई आम पत्रकार फोर व्हीलर पर नहीं चलता। पुलिस को भी आभास नहीं होगा कि प्रेस लिखी वाहन में हैरतअंगेज बरामदगी होगी। इस खबर प्राप्त होते ही इस मामले की अपने स्तर से पड़ताल शुरु की। इस दौरान खुदागंज थानाध्यक्ष ने भी स्पष्ट जानकारी दी।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार उक्त वाहन का Registration No: GJ15DD7807, Registration Date:22-Aug-2006, Chassis No: MA3EED81S00431729,Engine No: F10DN4255542, Owner Name:VINAY N SINGH, Owner Father’s Name: VISHAVANATH SINGH, Adress: PARTMENT CHHARWADA RD,VAPI, DIST-VALSAD, VALSAD, 0, GJ, 999999, Vehicle Class: MOTOR CAR (L), Fuel Type: PETROL/CNG, Maker / Model: MARUTI SUZUKI INDIA LTD / WAGON R LXI BS3, Fitness Upto: 21-Aug-2021, Insurance Upto: 19-Sep-2016, Fuel Norms: EURO 3 करेंट विवरण प्राप्त हुये हैं।
अब यह पुलिस अनुसंधान का विषय है कि यह वाहन वलसाड (गुजरात) से नालंदा कब और कैसे आये। अगर वाहन चोरी हुई होगी तो वहां स्थानीय थाना में मामले की शिकायत जरुर दर्ज होगी। अगर बिक्री हुई है तो बिक्रेता से क्रेता की पहचान आसानी से किया जा सकता है। कब किसने इस वाहन की खरीद किस काम में इस्तेमाल करता आ रहा है।
ऐसे भी गुजरात जैसे प्रांत से ही बंदी के बाद शराब तस्करी के नये-नये तरीके भी ईजाद हुये हैं। बिहार में शराब बंदी के बाद शाहरुख खान अभिनित फिल्म ‘रईश’ में उन तरीकों को बड़ी बेबाकी से उकेरा गया है।
इसमें कोई शक नहीं कि समूचे बिहार में शराब की मांग है। तभी वह 4-5 गुणी कीमत पर भी आसानी से बिक जाती है। कहीं तस्करी पर दबिश बनाती है तो कहीं उसमें शामिल नजर आती है।
सरकार ने शराब बंदी कर जहां गलते गरीब घरों की जिंदगियां बचाई है, खुले चौक-चौराहों हंगामा करते लड़खड़ाते कदम रोकी है तो इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है कि सीएम नीतिश कुमार की इस अदूर्शी नीति ने भारी मुनाफा वाली एक बड़ा अपराधिक कारोबार को भी जन्म दिया है।
बहरहाल, सबाल प्रेस सिंबल्ड वाहनों द्वारा कुकृत्य के हैं। इस दिशा में पुलिस प्रशासन को गंभीरता से ध्यान देना होगा। पुलिस, सेना, राजनीतिक-समाजिक दलों, जनप्रतिनिधियों, अफसरों आदि के नेमप्लेट लगे वाहनों की भी कड़ाई से पड़ताल करने की जरुरत है।
जाहिर है कि प्रेस के स्टीकर सटे वाहन के मालिक की पहचान होने पर प्रतिबंधित शराब के एक बड़ा खुलासा होगा, क्योंकि खासकर नालंदा जिले में जिस तरह से वाहनों में बने तहखाने से शराब बरामदगी के मामले सामने आये हैं, वे आपस में कहीं न कहीं आपस में जुड़े प्रतीत होते हैं।
हालांकि, नालंदा के डीएम-एसपी ने भी निर्देश जारी कर रखे हैं। लेकिन कहीं भी इस संबंध में कोई जांच-पड़ताल-कार्रवाई होता नहीं दिखा। अब तक हर जगह सिर्फ कोरम पूरा किया जाता रहा है। जबकि पुलिस के पास एक ऐसा मजबूत तंत्र है कि वह गांव के हर घर तक की सूचनाएं आसानी से जुटा सकती है।
लेकिन इसके लिये सामाजिक सरोकार भरी एक सार्थक सोच और नेक ईरादे होने चाहिये, जो कि उत्पन्न वर्तमान व्यवस्था-तंत्र की दहलीज पर किसी भी प्रशासनिक अफसर में नहीं दिखती।