“जब विभागीय मंत्री के गांव-जेवार में सड़क निर्माण कंपनी इस तरह घटिया कार्य करेगी तो संपूर्ण राज्य में ग्रामीण सड़क निर्माण का क्या हाल रहता होगा। जबकि इन्हीं के द्वारा केंद्र के सड़क एजेंसियों द्वारा घटिया निर्मित सड़कों पर जांच और कार्रवाई करने की बात की जाती थी…”।
सड़क का निर्माण कार्य पूर्ण कर राशियां निकालकर आपसी बंदरबांट कर लिया गया। हालात यह कि सड़क निर्माण कार्य पूर्ण होने के 1 वर्ष बाद ही इस सड़क की हालत इतनी जर्जर हो गई कि जिसे देखकर ग्रामीण हाय तौबा की स्थिति में है।
बता दें कि इस सड़क से करीब तीन चार गांवों के हजारों ग्रामीण इससे लाभांवित होते हैं मगर आज ग्रामीण ही सड़क पर से आवागमन में डरी और सहमे हुए की स्थिति में रहते हैं और अपने क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि समेत सड़क निर्माण कंपनी को इस घटिया सड़क निर्माण का जिम्मेदार बताते हैं।
वही ग्रामीणों ने बताया कि सड़क का निर्माण इतना घटिया हुआ है कि यदि गांव में कोई भारी वाहन प्रवेश करेगा तो सड़क धंसने से वाहन फंस सकती हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि नालंदा जिला के जिस क्षेत्र की यह हालत है वह सरकार के मंत्री श्रवण कुमार के विधानसभा नालंदा के गोगरी प्रखंड वेन की है। क्या इस तरह के सड़क निर्माण का कार्य ठेकेदार राशियों को विभागीय पदाधिकारी के मेल से लूटने खसोटने के लिए हुआ है।
जबकि सड़क निर्माण करता कंपनी को सड़क निर्माण के लिए 5 वर्ष तक उसके रख-रखाव के लिए अलग से राशि सुरक्षित रखी जाती है फिर भी सड़क निर्माण के 1 वर्ष बाद ऐसी जर्जरता क्या परिचय देती है।
सवाल उठता लाजमि है कि जब मंत्री जी के गांव-जेवार में सड़क निर्माण कंपनी इस तरह घटिया निर्माण करेगी तो और संपूर्ण राज्य में ग्रामीण सड़क निर्माण का क्या हाल रहता होगा। जबकि इन्हीं के द्वारा केंद्र के सड़क एजेंसियों द्वारा घटिया निर्मित सड़कों पर जांच और कार्रवाई करने की बात की जाती थी।