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नालंदा एसपी के जीरो टॉलरेंस नीति ‘थर्ड आई’ पर अब होगी लोगों की नजर

डीएसपी मुख्यालय होंगे नोडल पदाधिकारी, एसपी करेंगे खुद मॉनिटरिंग

बिहारशरीफ (संवाददाता)। नालंदा जिले में पुलिस महकमे में जीरो टॉलरेंस की तरह एसपी कुमार आशीष ने  एक ‘एन्टी करप्शन सेल’ का गठन किया है, जो ‘थर्ड आई’ के नाम से जाना जायेगा। इस थर्ड आई कीमॉनिटरिंग एसपी खुद करेंगे और मुख्यालय डीएसपी इसके नोडल पदाधिकारी होगें।

एसपी ने बताया कि इस सेल का मकसद पैसे वसूली के खेल में शामिल पुलिस वालों का पता लगा कर उसे दंडित करना है। इस संबंध में जल्द ही पुलिस अफसरों के साथ बैठक कर इन तमाम बिंदुओं पर चर्चा की जाएगी।

एसपी ने बताया कि इस सेल के प्रभारी या नोडल अधिकारी से मिलने जुलने के लिए आम आदमी पर कोई पाबंदी नहीं होगी। पुलिस पदाधिकारी से लेकर सिपाही तक के संबंध में लिखित या मौखिक शिकायत दे सकते हैं। इसके बाद शिकायत की जांच एवं कार्रवाई के बाद शिकायतकर्ता को सूचित करने की जिम्मेदारी नोडल अधिकारी की होगी। इस सेल से शिकायत और उस पर होने वाली कार्रवाई से पुलिस मुख्यालय को भी अवगत कराया जाएगा।

उन्होनें कहा कि हर सप्ताह नोडल अधिकारी के साथ बैठक कर इसकी समीक्षा की जाएगी। इसमें अधिकारियों को भ्रष्टाचार से निपटने के गुर सिखाए जाएंगे। इन अधिकारियों को आम आदमी खासतौर पर शिकायतकर्ताओं से अच्छे व्यवहार का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।

एसपी ने कहा कि अब तक की पड़ताल में कई मामलों में भ्रष्टाचार के मामले होने की जानकारी मिली है। ऐसे में इससे निपटने के लिए एंटी करप्शन सेल का गठन किया जा रहा है। यह सेल सीधे मिली शिकायतों पर तुरंत करवाई करेगा और सूचना देने वाले का नाम-पता गुप्त रखा जायेगा।

भ्रष्टाचार के इन तरीकों पर शिकायत व जांच के बाद नपेंगे पुलिस पदाधिकारी

शराब बेचने वालों के साथ सांठगांठ व उसके एवज में रुपये लेने पर सस्पेंड तथा बर्खास्त होंगे पुलिसकर्मी। सट्टा-जुआ खेलने और खिलाने वालों के साथ संलिप्ता पर सीधे सस्पेंड किए जाएंगे पुलिस कर्मी। आपराधिक विवेचनाओं में रुपये लेने पर नपेंगे संबंधित अधिकारी। पासपोर्ट बनवाने में पैसों की मांग। शस्त्र लाइसेंस में भी रुपये की मांग। सरकारी नौकरियों के लिए वेरिफिकेशन करने में रुपया मांगना पड़ेगा मंहगा। अन्य विभागों में एनओसी प्रक्रिया में रुपया मांगना। अवैध खनन में वसूली कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले की खैर नहीं। ट्रैफिक नियमों का पालन कराने से लेकर, टोल नाकों पर अवैध वसूली की शिकायत। विवेचना के दौरान चालान पेश करने के लिए फरियादी से रुपए मांगना। एफआईआर दर्ज कराने में रुपये की मांग। किसी असमाजिक तत्व या अपरधियों के साथ मेलजोल।

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