Home आधी आबादी चंडी कस्तूबा गांधी आवासीय स्कूल में अनियमितता की हो उच्चस्तरीय जांच

चंडी कस्तूबा गांधी आवासीय स्कूल में अनियमितता की हो उच्चस्तरीय जांच

लोग-बाग संदेह व्यक्त करते हुए खूब कानाफूसी कर रहे हैं कि बीईओ के द्वारा जांच कराना वही बात हो गई कि दूध की रखवाली का जिम्मा किसी बिल्ली को मिल जाएं।”

बिहारशरीफ (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से 20 किमी दूर चंडी प्रखंड इन दिनों घोटालों और भ्रष्टाचार का गढ़ बना हुआ है। यहां हर विभाग के रग -रग में भ्रष्टाचार भरा पड़ा है। इससे शिक्षा महकमा भी अछूता नहीं है।

दलित-महादलित छात्राओं के साथ भी हकमारी की खबरें मिल रही है। छात्राएँ कुव्यस्था का शिकार है। लेकिन इस भ्रष्ट युग में शिकायत करने और आवाज उठाने वाले को ही उनके पद से हटा दिया जाता है। बावजूद जिला शिक्षा विभाग अपनी आंखों पर भ्रष्टाचार की पट्टी बांध आराम फरमा रहा है।

chandi kasturba school 1चंडी के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में छात्राएँ कुव्यस्था और वार्डन की दबंगई और मनमानी की शिकार है। उन्हें मेनू अनुसार भोजन नहीं दिया जा रहा है। बोलने पर छात्राओं को डरा धमका कर रखा जाता है।

यहां तक कि उन्हें सीखाया भी जाता है कि कोई भी जांच के लिए आएं तो कह देना सब कुछ यहां मिलता है। वार्डन मैम भी बहुत अच्छी है।

शुक्रवार को चंडी प्रखंड के एक व्हाट्स एप्प ग्रुप में कस्तूबा आवासीय विद्यालय में मेनू अनुसार भोजन नहीं बनाएँ जाने का मामला उठा था।

शुक्रवार को मेनू के अनुसार छात्राओं को सौ ग्राम मछली और रोटी देना था लेकिन उसकी जगह छात्राओं को उबले हुए आलू की पनीला सब्जी परोस दी गई ।इस भोजन को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया था ।

इस मामले को गंभीर मानते हुए बीडीओ विशाल आनंद ने आनन फानन में संज्ञान लेते हुए चंडी बीईओ को पत्र भेजकर एक महीने की मेनू और जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

बताया जाता है कि इससे पहले भी मेनू के अनुसार कभी भी भोजन नहीं बनता था। तब की रसोईया सुनीता देवी ने इसका विरोध किया था।

उस समय वार्डन ने रसोईया सुनीता देवी का गला दबाकर देख लेने की धमकी दी थी। बाद में उसे रसोईया के पद से हटा भी दिया गया था।

तब रसोईया ने डीएम और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी से इसकी शिकायत भी की थी। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने इस मामले में वार्डन से स्पष्टीकरण भी मांगा था।

सूत्रों ने बताया कि कस्तूबा में छात्राओं और स्टाफ के लिए अलग अलग भोजन बनता है। यहाँ तक कि वार्डन के पति भी यहां भोजन करते हैं। जबकि बाहरी व्यक्तियों का आना वर्जित भी है।

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद्, पटना के अनुसार छात्राओं को दैनिक आवश्यकता की वस्तुएँ यथा साबुन, तेल, शैंपू, टूथपेस्ट, लेखन सामग्री तथा दो सेट पोशाक देने का प्रावधान है।

यहाँ तक कि शाकाहारी छात्राओं को 40 ग्राम पनीर की सब्जी भी दिया जाना है। इसके अलावा प्रतिदिन सुबह 6-7 के बीच छात्राओं को 25 ग्राम अंकुरित चना और 25 ग्राम गुड़ दिया जाना है।

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद् का कहना है कि अगर छात्राओं को आवश्यकता की वस्तुएँ और मेनू के अनुसार भोजन नहीं बनता है तो कोई भी जागरूक नागरिक परिषद को एसएमएस भेजकर शिकायत कर सकता है।

चंडी कस्तूबा आवासीय विद्यालय की वार्डन के बारे में कहा जाता है कि वह राजनीतिक पहुँच रखती है जिस कारण उनके खिलाफ शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।

वैसे भी कस्तूबा आवासीय विद्यालय में कोई झांकने या सुध लेने भी नहीं जाता है कि वहाँ क्या हो रहा है। जिससे वार्डन तथा अन्य स्टाफ अपनी मनमानी करते हैं । अगर कस्तूबा आवासीय विद्यालय में उच्च स्तरीय जांच सही ढंग से हो जाए तो यहाँ एक बड़ी अनियमितता पकड़ी जा सकती है।

फिलहाल बीडीओ विशाल आनंद की ईमानदार कोशिश कहाँ तक रंग लाती है,यह तो जांच रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा। लेकिन चंडी के बुद्धिजीवी वर्ग को बीडीओ की कार्यशैली पर विश्वास तो है लेकिन बीईओ पर नहीं।

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