सिल्ली विधायक अमित महतो के इस ‘मां जज्बा’ को सलाम

    jmm mla amit mahto 2 रांची ( मुकेश भारतीय )।  मां सिर्फ मां होती है और जीवन में वह सर्वोपरि है। पिछले ढाई दशक से उपर की अपनी पत्रकारिता में कहीं भी रहा। चाहे वह बिहार-झारखंड हो, उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल हो या फिर दक्षिण के राज्यों का भ्रमण हो… कहीं इस तरह की बानगी मुझे देखने को नहीं मिल सका है।

    वाकई फेसबुक-ट्वीटर जैसे सोशल साइट तरह-तरह के अनुभवों से अवगत कराता है। यहां मेरी उपस्थिति का करीब एक ढेड़ दशक होने को है। लेकिन हाल के दिनों में मैं एक युवा राजनीतिज्ञ का कायल हो चुका हूं। वे हैं..अमित कुमार महतो। अमित झारखंड की राजधानी रांची संसदीय क्षेत्र के सिल्ली विधान सभा सीट से झामुमो विधायक हैं।

    इनसे कभी आमने-सामने मुलाकात नहीं हुई है। एक बार इनसे एक समाचार के संदर्भ में मोबाइल संपर्क किया था और दूसरी बार एक नीजि परेशानी के दौरान।

    बहरहाल, पृथक प्रांत गठन के उपरांत लगातार सत्तासीन रहे आजसू दिग्गज सुदेश महतो को पटखनी देकर झामुमो विधायक बने अमित महतो की एक ऐसी पड़ताल सामने आई है, जो झारखंड नहीं, बल्कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रतिक भारत सरीखे देश में एक रिकार्ड नजर आती है। खास कर उस मीडियाई दौर में, जब एक क्लिक की सुर्खियां के वास्ते आज हर तरफ नेता-जनप्रतिनिधियों की मारामारी मच रही हो।

    अमित महतो की फेसबुक टाइमलाईन की बारीकी से अध्ययन करने के उपरांत ऐसे तो कई उल्लेखनीय तथ्य उभर कर सामने आते हैं लेकिन, उसमें सबसे अहम यह है कि वे अपनी विकास योजनाओं का शिलान्याश या उद्घाटन गांव की किसी न किसी बुजुर्ग मां के कर-कमलों से अंजाम देते हैं। यहां तक कि उनके विधान सभा क्षेत्र में सांसद हो या मंत्री, उनके साथ भी कभी रिबन-फीता काटते नज़र नहीं आये। हां, वे सभी योजनाओं का बड़ी बारीकी से निरीक्षण करते अवश्य दिखे हैं।

    मेरी जारी शोध लेख के अनुसार सिल्ली विधायक अमित जी का इस तरह की सकारात्मक व सामाजिक पहल एक प्रजातांत्रिक देश रिकार्ड है।

    इस संदर्भ में जब उनसे फेसबुक मैसेज बॉक्स के जरिये अपनी जिज्ञासा प्रकट की तो उनका कहना था कि…. “इस संसार की जननी महिलायें हैं, और वर्तमान समय में माहिलाओं के प्रति हिंसायें बढ़ी हैं जो बेहद दु:खद है! ज़िन्होने हमें जन्म दिया, उनका इस भाग दौड की ज़िंदगी में मान सम्मान पर कुठाराघात हो रहा है, जो हमलोगों के लिये चिंतन का विषय है, पर शिलान्यास और उद्घाटन बुजूर्ग माहिलाओं (बुढ़ी माँ) से करवाने का मकसद ये है कि कोई भी नया कार्य जगत जननियों के हाथों से ही शुरूआत हो, ज़िससे पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के प्रति संकीर्ण मानसिकता में बदलाव आये !”

    वेशक, अमित महतो सरीखे जनसेवक के दिल में लाखों-करोड़ों जगत जननी माताओं के प्रति प्रगाढ़ आस्था देख मस्तिष्क में एक नई कौंध पैदा होती है और दिल उन्हें सलाम करने को उमड़ पड़ता है।

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