इस नाबालिग शादी में प्रांत के समाज कल्याण मंत्री डॉ. लुइस मरांडी के आलावे मंत्री राज पलिवार, राजमहल विधायक अनंत ओझा, देवघर विधायक नारायण दास, बोकारो विधायक विरंची नारायण, महागामा विधायक अशोक भगत, गोड्डा विधायक अमित मंडल, बगोदर विधायक नागेंद्र महतो, गांडेय विधायक जयप्रकाश वर्मा सरीखे लोग भी बतौर गवाह मौजूद रहे।
वेशक इन सबको पता था कि मामला क्या था। कैसे एक पीड़िता युवती ने ताला मरांडी के बेटे पर शादी का झांसा देकर यौन शोषण का आरोप लगाया और फिर कैसे जिस लड़की के साथ शादी का निमंत्रण कार्ड बांटा गया, उसने ऐन वक्त शादी से इन्कार कर दिया तथा आनन-फानन में बिचौलिया की तीसरी नाबालिग लड़की के साथ शादी की रस्म निभाई गई। इस शादी में सीएम रघुबर दास के भी शामिल होने की पूरी तैयारी थी। शुक्र है कि वे कुछ भांप कर ही उस शादी में शरीक नहीं हो सके। अगर होते तो राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य कुछ अलग नजर आती।
मंत्री सरयु राय जैसे धारदार लोग नाबालिग-बालिग के मुद्दे पर मेडिकल बोर्ड के गठन किये जाने की बात तो करते हैं लेकिन, एक पीड़िता को झांसा देकर यौन शोषण के मामले पर चुप्पी साध जाते हैं।
बहरहाल एक बात साफ नजर आ रही है कि बालिग-नाबालिग के चक्कर में यौन शोषण की शिकार युवती का मामला धुमिल होता दिख रहा है। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन का यह कहना सही प्रतीत होता है कि ऐसे गंभीर मामले में जहां सत्ता के प्रभाव में पुलिस प्रशासन पंगु हो, माननीय उच्च न्यायालय को स्वतः संज्ञान लेनी चाहिये। जितनी बिलंब होगी, भाजपा और उसकी रघुबर सरकार की नैतिकता के दंभ की कलई उतनी ही खुलेगी।