“इस अवैध निर्माण ने जहां रघुवर सरकार की आदिवासी हितों की रक्षा की पोल तो खोलती ही है, वहीं विपक्ष की सीएनटी एक्ट सुरक्षा की लड़ाई की परतें भी यूं ही उघाड़ जाती है।”
रांची (विशेष संवाददाता/इन्द्रदेव लाल)। एक तरफ जहां समूचे झारखंड प्रदेश में आदिवासी मूलवासी हितगत सीएनटी-सीपीटी कानून को लेकर हो-हल्ला मची है, वहीं राजधानी रांची में सरकार के नाक के नीचे भू-माफिया लोग आदिवासी जमीन को जेनरल बता अपना धंधा चमकाने में खुल्लेआम लगे हैं।
बिल्डर द्वारा ग्राहकों को जमीन की जमीन की प्रकृति के बारे में बताया जा रहा है कि रांची डिल्स्टरी निवासी शिवनारायण जायसवाल के नाम से वर्ष 1938 की खरीदगी है यहां करीव चार एकड़ जमीन। उसी एक हिस्से पर अपार्टमेंट निर्माण का कार्य हो रहा है।
लेकिन जब इस जमीन की पड़ताल की गई तो कई सनसनीखेज तत्थ उभर कर सामने आये हैं। जिस भूमि पर शारदा अपार्टमेंट का निर्माण हो रहा है, वह खतियानी आदिवासी लैंड है और वर्तमान में खतियान व रजिस्टर-2 में सुकरा उरांव वगैरह के नाम से दर्ज है। सुकरा उरांव वगैरह के नाम से चालू वित्तिय वर्ष तक रशीद भी अपडेट है।
बता दें कि इसी के पास आदिवासी लैंड पर शीतल अपार्टमेंट का निर्माण भी हुआ है। उसे लेकर काफी हो-हंगामा हो चुका है। लेकिन सरकार और प्रशासन ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। उसी का परिणाम है कि कमजोर आदिवासी समुदाय की जमीन पर जबरन कब्जा कर आगे भी निर्माण कार्य जारी है।
वर्तमान में निर्माणाधीन शारदा अपार्टमेंट के बिल्डर के बारे में बताया जाता है कि सरकार के एक कद्दावर मंत्री के साथ बिल्डर के काफी करीबी संबंध है। उन्हीं की शह पर कोई कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा है।