“यहां रोजाना 60 हजार लीटर पानी का अवैध कारोबार हो रहा है। इसकी जानकारी जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी है, मगर इस गोरखधंधे में संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में इनके हाथ-पैर फूल जाते हैं। जिसके कारण अवैध कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं।”
धनबाद (न्यूज ब्यूरो/अमित)। झरिया कोयलांचल और आसपास के कोलियरी इलाके में मिनरल वाटर के नाम पर अशुद्ध पानी का कारोबार फलफूल रहा है। बरसात में मिनरल वाटर की मांग बढ़ जाती है। जिसका फायदा अवैध कारोबारी उठा रहे है।
सरकारी आंकड़ों में इन प्लांटों की जानकारी भी नहीं है। इसके बावजूद पानी के नाम पर लोगों को जहर बेचा जा रहा है।
इन अवैध कारोबारियों के पास जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है। न तो टेस्टिंग लैब है और ही प्यूरीफायर। केवल बॉटलिंग और जार की पानी को पैक करने का मशीन है। जार और बोतल में मिनरल वाटर के नाम पर बोरहोल और नलों का पानी भरा जा रहा है। शुद्ध पानी के नाम पर इलाके में लोगो को जहर परोसा जा रहा है।
विभाग के अधिकारी कहते हैं कि अवैध मिनरल वाटर की शिकायत नहीं मिली है, शिकायत मिलने पर जरूर कार्रवाई होगी।
मिनरल वाटर के नाम पर लोग जहर पी रहे हैं। लैब में टेस्टिंग किये बगैर अशुद्ध पानी जार और बोतल में पैक कर बाजार में ठेला व ऑटो के जरिये धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। पानी में आर्सेनिक और आयरन जैसे जहरीले तत्व मिले हैं। पानी दरअसल जहर बन चुका है। जिनका असर सबसे पहले त्वचा और फिर पेट पर पड़ता है। वक्त रहते इस पानी से अगर नहीं बचे, तो सांसें बचाना मुश्किल हो जाता है।
क्या है नियमः
विभाग के अनुसार, अगर कोई अवैध रूप से मिनरल वाटर बनाने और पैकेजिंग का प्लांट चला रहा है तो कंपनी संचालक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। पांच हजार रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक जुर्माना व छह माह की जेल की सजा हो सकती है। इसके पूर्व बोर्ड की ओर से कंपनी को नोटिस जारी होता है।
मिनरल वाटर कंपनी खोलने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। इसके बाद फूड डिपार्टमेंट, स्वास्थ्य विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लाइसेंस लेना पड़ता है।
इस मामले को लेकर ऐंटी करप्शन एंड क्राइम कंट्रोल कमिटी के नैशनल विज़लेंस ऑफ़िसर शशि सिंह द्वारा धनबाद ज़िला उपायुक्त को पत्र लिखकर धनबाद जिल के झरिया और कोयलंचल छेत्रो में संचालित अवेध रूप से बग़ैर रेजिस्ट्रेशन और ग़ैर लाइसेन्सी मिनरल वाटर बनाने और जार पैकिजिंग कर रहे कम्पनी और प्लांट को अविलम्ब बंद करवाते हुए इनके संचालकों पे क़ानूनी करवाई करने की माँग की गई