” नई सरकार का यह कैसा दोहरा चरित्र? कई राजनेताओं का अवैध पत्थर खनन से है संबंध, भाजपा सांसद गोपाल नारायण सिंह पर फारेस्ट एक्ट के तहत 11 आपराधिक मामले है दर्ज !”
सरकार बालू माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्यवाई कर रही है वह तो ठीक है और ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्यवाई होनी भी चाहिए। पर ऐसे मामलों में नई सरकार का दोहरा मापदंड और दोहरा चरित्र भी साफ दिख रहा है।
सरकार बालू माफियाओं के खिलाफ सख्त रवैया और रणनीति और कार्यवाई करने को तो दृढ़ संकल्पित है पर ऐसा ही संकल्प और कार्यवाई पत्थर और कोयला माफियाओं के खिलाफ भी होनी चाहिए।
शायद ऐसा तो नहीं कि अवैध पत्थर खनन से जुड़े बहुत सारे सफेदपोश माफिया सरकार का अंग और राजनैतिक रुप से दबंग हैं जिनके आगे सरकार झूकने को बाध्य है।
गौरतलब है कुछ वर्ष पूर्व जब बिहार के सिंघम के नाम से मशहुर युवा आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे को जब रोहतास का एसपी बनाया गया था, तब उनका पहला हथौड़ा पत्थर माफियाओं, अवैध क्रशर और कोयला माफियाओं पर ही चला था।
तब पत्थर माफिया के रुप में एक बड़ा नाम भाजपा के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में राज्यसभा सदस्य गोपाल नारायण सिंह का आया था।
तब के दौर में पत्थर माफियाओं और अवैध खनन मामले में गोपाल नारायण सिंह पर फारेस्ट एक्ट के तहत रोहतास जिले में 11 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हुए, जिनमें अधिकतर मामले में कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है और गोपाल नरायण सिंह को इन मामलों में जमानत लेनी पड़ी।
28 फरवरी 2016 को जब रोहतास पुलिस की खुफिया शाखा ने रोहतास जिले के ही निवासी एक बड़े पत्थर माफिया 42 वर्षीय आशुतोष सिंह को गिरफ्तार का डेहरी थाना लाया था तो उसने इस अवैध धंधे से जुड़े कई हस्तियों के नामों का खुलासा किया था।
शिवदीप लांडे द्वारा राजनैतिक रसूख वाले पत्थर और कोल माफिया पर लगातार कार्यवाई के कारण ही उनका रोहतास जिले से कुछ माह में ही स्थानांतरण कर दिया गया।
जीरो टालरेन्स और पारदर्शी सरकार का दावा करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी सरकार क्या इस मामले में भी पारदर्शिता और निष्पक्षता दिखाते हुए पत्थर माफियाओं पर भी कोई वैसी कार्यवाई करेगी जैसी कार्यवाई बालू माफियाओं पर हो रही है!