“स्कूल के जीर्णोद्धार एवं नए भवन के निर्माण की बात क्षेत्रीय विधायक डॉ जीतेंद्र कुमार, नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार, पूर्व शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी एवं महागठबंधन उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से भी इस हाई स्कूल के जीर्णोद्धार या नए भवन के निर्माण के लिए आवेदन दिया गया, लेकिन जवाब में केवल आश्वासन की घूंटी के आलावा कुछ नहीं मिल सका है।“
ग्रामीणों के अनुसार इस विरासत से भरी इमारत से हमलोगों का अनेकों यादें जुडी हुई है। आज भी नजदीक से गुजरता हूँ तो पुरानी यादें ताजा हो जाती है। सरकार को इसका संरक्षण करना चाहिए एवं इसे टूटने से बचाना चाहिए।
नए भवन बनाने से अच्छा है कि इस विद्यालयों का ही मरम्मतीकरण हो, क्यूंकि नव निर्मित सरकारी विद्यालयों में इतनी कमरा व इतना जगह का प्रावधान नहीं है।
इस पुरानी गौरवमयी इमारत में सरकार जल्द से जल्द कार्य शुरू करे नहीं तो हमलोग इस मंदिर रूपी स्कूल को हम ग्रामीण लोग समर्थवान लोगों से मिलकर, चन्दा करके पुनः खड़ा करेगें ।
स्कूल भवन भले ही पुराना हो चला है, किंतु भवन की नींव इतनी चौड़ी है कि इतने वर्षो बाद भी जस का तस है। चौड़ी चौड़ी दिवारें, रोशनदार कमरें, लम्बी वरामदा, हवादार खिड़कियाँ महल के जैसा प्रतीत होता है ये स्कूल।
बड़ा सा खेल मैदान, बाहरी लड़कों को पढ़ने के लिए छात्रावास की सुविधा ,छात्र-छात्रा का अलग अलग शौचालय की वयवस्था, पुस्तकालय, व्यायामशाला, प्रयोगशाला आदि से लैस था यह स्कूल।
यह स्कूल पढ़ाई के साथ साथ खेल के लिए भी हमेशा जाना जाता रहा है । इसके हजारों विद्यार्थी आज देश –विदेश में अपना परचम लहरा रहें है और राष्ट्र के विकास में सहयोग कर रहे हैं ।
स्कूल भवन के कमरों की जर्जर हालत के चलते वर्तमान में बगल के मोडर्न स्कूल में हो रही है पढाई । स्कूल में 9 वी और 10 वी कक्षा की पढाई होत है, कुल 1200 छात्र- छात्रा है जिसमें 12 शिक्षक कार्यरत हैं। ग्रामीणों ने इसकी बदतर व्यवस्था के लिए कई बार अर्जी लगाई है।
नब्बे वर्षीय बुजुर्ग श्री वृजनंदन बाबु का माने तो इस स्कूल की नीव आज से 70 वर्ष पुर्व इस विद्यलय की नीव पड़ी थी, इसका नींव महान शिक्षाविद बिन्द निवासी स्व. देवनंदन बाबु ने रखी थी।
उन्होनें अपने कमाई का अधिकांश भाग उस समय लगा दिए थे उन्हें शिक्षा से बहुत लगाव था वे काम में विश्वास रखते थे उनकी कार्यदक्षता आज भी दिखती है। बहुत दूर-दूर से लोग पढ़ने के लिए आया करते थे। अगल –बगल उच्च शिक्षा का कोई संस्थान नहीं होने के कारन इस स्कूल में विद्यार्थियों की हमेशा भरमार रही है।
उन्होनें कहा कि स्कूल के ऐसे स्तिथि में पुराने विद्यार्थियों को भी आगे आना चाहिए , युवाओं को बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिये, ताकि वो भी अपने आगे आने वाली पीढ़ी को बता सकें।
जीर्णोद्धार के मामले को लेकर एक्सपर्ट मीडिया न्यूज से बातचीत करते हुए उच्च स्कूल बिंद के प्रधानाध्यापक धनंजय कुमार ने बताया कि स्कूल का अपना भवन नहीं है, जिससे पढ़ाई कार्य होने में बाधा पहुंचती है।
उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत सभी शिक्षा के रहनुमाओं एवं जनप्रतिनिधियों को किया गया है। जिसमें जिला अधिकारी के द्वारा तत्काल मॉडल स्कूल के भवन में विद्यार्थियों के पठन पाठन का कार्य होता है। मॉडल स्कूल चालू हो जाएगा तो फिर स्कूल के छात्र छात्रों के पठन पाठन कार्य में बाधा पहुंचेगी।
प्रधानाध्यापक ने बताया कि स्कूल का अपना जमीन भी है। यदि सरकार चाहे तो नए भवन का भी निर्माण करा सकती है।
टेन प्लस टू के बच्चे इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण दरी बिछाकर जमीन पर बैठकर अपने भविष्य को गढ़ रहे हैं।