Home आस-पड़ोस “ कहअ हकई के तू मरल हकहीं, जिंदा कबे होबई बाबू ”

“ कहअ हकई के तू मरल हकहीं, जिंदा कबे होबई बाबू ”

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अंचल कार्यालय का चक्कर काट रहे एक वृद्ध का यक्ष सबाल

मुकेश भारतीय-

ओरमांझी। “ कहअ हकय के तू मरल हकहीं, जिंदा कबे होबई बाबू। रोजे रोज एही बोल के हिंया सभे दौड़ाते हकय। कहअ हकय जिंदा होखे के कागज पतर लाके दिखा। अब ई केकरा से मांग के देखायय ”

यह सबाल है 75 वर्षीय गरीब गोपाल महतो की। वह बरवे पंचायत के डहू गांव का रहने वाला है। उसे पिछले आठ माह से वृद्धा पेंशन नहीं मिला है। उसके पहले पांच वर्ष से नियमित पेंशन मिल रहा था। अंचल कार्यालय के कंप्यूटर ऑपरेटर तनवीर आलम के मुताबिक सरकारी रिकार्ड में लाभुक गोपाल महतो मृत घोषित है। इसीलिये उसे पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है।

बकौल तनवीर आलम, यहां हर वर्ष वृद्धा पेंशन का सर्वे होता है। मुखिया या कर्मचारी की सर्वे रिपोर्ट पर नाम जुटता या कटता है। लाभुक को मृत घोषित भी उसी आधार पर किया जाता है। इससे अधिक वह कुछ नहीं कह सकता है।

इस संबंध में अंचलाधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि उनके पदास्थापन के बाद कुछ नाम हटाये गये हैं। लेकिन वे हर मामले को काफी गंभीरता परखने के बाद ही निर्णय लेते हैं। इस निर्णय में मुखिया और कर्मचारी की रिपोर्ट अहम होता है। किसी जीवित को मृत घोषित कर देना एक अपराध है।

co_ormanjhiअंचलाधिकारी ने बताया कि पहले यहां जिला स्तर से जिस सूची से भुगतान होता है, उससे अंदाजी तौर पर ही काफी नाम डिलीट कर दिया गया है। इस कारण उन्हें पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है। वे इस प्रयास में हैं कि वास्तविक लाभुक इस योजना से बंचित न हों।

वृद्धा पेंशन के मामले में मुखिया और कर्मचारी की रिपोर्ट पर नाम जोड़े और हटाये जाते हैं। किसी जीवित को मृत घोषित कर देना एक अपराध है। इस मामले में न्यायोचित जांच कार्रवाई होगी और लाभुक को पेंशन लाभ की सुविधा बंचित अवधि का एरियर सहित बहाल होगी।

….श्री राजेश कुमार, ओरमांझी अंचलाधिकारी।

 

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