एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। पटना में प्रशासन आग लगने पर कुंआ खोदना शुरू करता है लेकिन अधूरा छोड़ दूसरे काम में व्यस्त हो जाता है। ऑटो दुर्घटना में 7 लोगों की मौत के बाद ओवरलोडिंग पर धर पकड़ शुरू हुई फिर अचानक बंद हो गई। ओवरलोडिंग तो नहीं रुका हैं कई रूटों में ऑटोवालों ने भाड़ा बढ़ा दिया।
कुछ दिन पूर्व एक होटल में आग लगी तो सभी होटलों की जांच शुरू हुई। कुछ दिनों में वह भी सुसुप्तावस्था में चला जायेगा।
कुछ वर्ष पूर्व कोचिंग छात्रों के हंगामे के बाद कोचिंगवालों की जांच शुरू हुई थी। सभी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया। और भी नियम बनाए गए। वह अभियान भी फिस्स हो गया।
हर साल दो साल पर समारोह कर पुलिसवालों को अपराध नियंत्रण के लिए मोटरसाइकिल दी जाती है कि इससे गली गली पेट्रोलिंग होगी, क्या किसी ने पटना में बाइक पर गलियों में पेट्रोलिंग होते देखा है? मैंने तो नहीं देखा।
एक साहब आए तो कहा कि अपराध रोकने के लिए बीट पुलिसिंग होगी। सिपाही हर घर में जाकर आपका हालचाल पूछेगा। किसी के घर पुलिसवाला गया क्या?
भूमि विवाद हल करने के लिए कई घोषणाएं हुई लेकिन कर्मियों ने उसकी आड़ में रिश्वत की रेट बढ़ा दी।
जनता पस्त है अधिकारी-नेता मस्त हैं और कहते हैं कि यह सुशासन है वोट हमें ही दीजिए नहीं तो जंगलराज आ जायेगा? (साभारः टीवी जर्नलिस्ट प्रवीण बागी का फेसबुक वाल)
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