राँची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। मैं हूँ झारखण्ड पुस्तक की लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढती जा रही है। यह झारखण्ड की पहली ऐसी पुस्तक है जिसने बहुत ही कम समय में बेहतर पेज गुणवत्ता, शोधपरक आंकड़ों, बेहतरीन चित्रात्मक प्रस्तुति इत्यादि के कारण एक अलग ही पहचान बनाई है एवं पिछले एक माह से यह पुस्तक आउट ऑफ स्टॉक है।
राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उतीर्ण व सिविल सेवा परीक्षा के मार्गदर्शक जलेश्वर कुमार ने बताया कि मैं हूँ झारखण्ड पुस्तक को इतने बेहतरीन तरीके से तैयार किया गया है कि एक ट्रेडिशनल पब्लिशर ने इस पुस्तक के अनुरूप सबसे पहले अपना रंग नीला करने की कोशिश की। इसके बाद एक-एक आंकड़ों को अपने पुस्तक में शामिल करने की कोशिश की गई।
मैं हूँ झारखण्ड पुस्तक के झारखंड का उपनाम, राजकीय चिन्ह, झारखंड की नदियाँ,जलप्रपात, खान-खनिज, शिक्षण संस्थान, मंदिर, कला-संस्कृति,चर्चित व्यक्तित्व इत्यादि अध्याय के आंकड़ों, चित्रों व प्रस्तुतिकरण को दशकों से कब्जा जमाये प्रकाशक द्वारा अपनी पुस्तक में शामिल करने का प्रयास किया गया है।
मैं हूँ झारखण्ड पुस्तक के आंकडों को ट्रेडिशनल पब्लिशर ने सिर्फ अपनी पुस्तक में शामिल ही नहीं किया है बल्कि कई अध्यायों के तथ्यों को भी पुस्तक में शामिल किया है जबकि ये संबंधित तथ्य व आंकडे दशकों से आसानी से उपलब्ध थे। मैं हूँ झारखंड पुस्तक के पहले संस्करण होने के कारण कुछ वर्तनी अशुद्धि रह गई थी, उसी अशुद्धि के साथ ही नकल की झलक भी ट्रेडिशनल पब्लिशर के पुस्तक में साफ झलक रही है।
अब छात्रों को सारी जानकारी हो चुकी है कि किस प्रकार वर्षों से अपने पुस्तक व संस्थान को सर्वश्रेष्ठ बताकर ठगने का प्रयास किया गया है। नये आंकडों को अन्य पुस्तकों को आधार मानते हुए ट्रेडिशनल पब्लिशर ने शामिल तो किया है लेकिन पुराने आंकडों को अपने पुस्तक से नहीं हटाया है जिससे आंकडों में असंतुलन है।
झारखंड के विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के तैयारी के लिए बहुत ही अच्छा पुस्तक है , (मैं हूं झारखंड)।
झारखंड से जुड़े सभी विषयों पर व्यापक, जानकारी से परिपूर्ण पुस्तक है।
कुछ अन्य पब्लिशर्स के द्वारा इनके कॉन्टेंट का कॉपी किया गया है जो गलत और निंदनीय है।