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यह आश्रय गृह है या तबेला, रोंगटे खड़े कर जाते हैं इनके दर्द

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सूबे में खतरनाक होते कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉक डाउन का आज 19 वां दिन है। इन 19 दिनों में देश में कोरोना के संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। मौत के आंकड़े भी हर दिन बढ़ रहे हैं। झारखंड में भी हर दिन संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। देश भर में कोरोना के संदिग्ध मरीजों को चिन्हित कर क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा जा रहा है, साथ ही रास्तों से पकड़े जा रहे लोगों को आश्रय गृह में रखा जा रहा है, लेकिन आश्रय गृह वाकई सुरक्षित हैं। क्या वाकई पकड़े गए लोग यहां महफूज हैं। या कोरोना के बदले ये यहां भूख से मर जाएंगे

corona efect 2 1सरायकेला (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। आदित्यपुर आश्रय गृह के अंदर का नजारा काफी भयावह है। यहां रह रहे रिफ्यूजियों का दर्द सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। भगवान न करे किसी को भी इस सेंटर में आना पड़े।  

कहा जाती है कि यहां सर्वे करने एक टीम पहुंच रही है। उसे सबकी ट्रेवल हिस्ट्री की सही और सटीक जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए। कोरोना के खिलाफ जारी इस जंग में सबको अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की भी जबावदेही है।

क्योंकि अंदर का जो दृश्य है, वह इंसानों के लिए नहीं जानवरों के लिए नागवार है। वैसे हम कह सकते हैं कि यह आश्रय गृह नहीं जानवरों का तबेला है।

सरायकेला खरसावां जिला के आदित्यपुर स्थित सेंट्रल पब्लिक स्कूल में बने अस्थायी आश्रय गृह में रखे गए अप्रवासी मजदूरों के साथ जानवरों की तरह वर्ताव किया जा रहा है। उनके देखरेख का जिम्मा जिन्हें मिला है, यानि इस सेंटर में बतौर दंडाधिकारी जिन्हें प्रतिनियुक्त किया गया है, वे पेशे से पशु चिकित्सक हैं।

यही कारण है कि इनके साथ इस सेंटर में जानवरों सा वर्ताव किया जा रहा है। यहां व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। सब कुछ वैसा ही नजर आता है, जैसा कि जानवरों के कुव्यवस्थित तबेला में होती है।

निश्चित तौर पर झारखंड अभी कोरोना के तांडव से अछूता है, लेकिन अगर ऐसी ही व्यवस्था रही तो आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस दिन कोरोना का तांडव राज्य में शुरू हो गया तो स्थिति कितनी भयावह होगी, उसका आकलन करने मात्र से रूह कांप उठता है।

इसलिए लॉक डाउन का पालन कर खुद व खुद के परिजन की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। कम से कम घरों से बाहर निकले और देश की ओर से जारी इस जंग में सहयोग करें। क्योंकि ना देश, न राज्य सरकार और न ही स्थानीय जिला प्रशासन के पास अभी इस खतरनाक वायरस के संक्रमण से लड़ने का कोई सटीक सुविधा उपलब्ध है।

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