✍️ मुकेश भारतीय / एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क
बिहार के सीएम नीतीश कुमार के जिले नालंदा मुख्यालय बिहारशरीफ से एक वीडियो सामने आई है। यह वीडियो शहर की लाइफ लाइन रामचन्द्रपुर बस स्टैंड रोड की है। जोकि लहेरी थाना अन्तर्गत पड़ता है।
वाकई इसे पुलिस की सख्ती मानी जाए या फिर उनकी उदंडता या फिर स्वार्थहित में सिर्फ खौफ पैदा करने वाली हरकत।
क्योंकि हमारे पास विभिन्न हलकों से जिस तरह की सूचनाएं आ रही है। वह चिंता उत्पन्न करने वाली है।
कुछ पुलिस वाले लॉकडाउन को भी शराबबंदी की तरह ले रहे हैं। उनमें डंडा की जोर पर कमाई ढूंढ रहे हैं। कई थानेदार तो लोगों को पकड़ थाने ले जाते हैं और फिर जेल भेजने का भय दिखा मोटी रकम वसूलने से भी बाज नहीं आ रहे।
जबकि राज्य सरकार की शराबबंदी पुलिस की बदनाम छवि सुधारने का एक बड़ा मौका था। लेकिन उसका हश्र और पुलिस की पहचान किसी से नहीं छुपी है।
अब भारत सरकार की लॉकडाउन ने भी पुलिस-प्रशासन को खुद जनमानस के बीच दुरुस्त करने का एक सुअवसर दिया है। लॉकडऑउन को पीएम नरेन्द्र मोदी ने जनता कर्फ्यू का नाम दिया।
अगर वीडियो को गौर से देखें तो यहां पुलिस सिर्फ ‘कोई रोड पर ना निकले’ की नीति पर कार्य करते दिख रही है।
यहां कोई पुलिसकर्मी किसी राहगीर से यह नहीं पूछ रहा है कि वह कहां किस काम से जा रहा है। और न ही आंकलन कर रहा है कि उसका कार्य जरुरी है या कि नहीं।
इस वीडियो से एक बात और भी साफ प्रतीत होती है कि वह जो कुछ कर रही है, वह मीडिया की भद्दी सुर्खियां पाने के लिए कर रही है, क्योंकि वह रिकार्ड की जा रही है। अमुमन पुलिस थाने में टांग पसार सोए नजर आती है और जब बात बिगड़ती है तो अकबकाहट में बिना सोचे समझे डंडा ले सड़क पर उतर आती है।
किसी को खाना खिलाते, दो-चार लोगों कों बाजारु सामग्री बांटते और सड़क पर लोगों को डेंगाते की फोटो खिंचवाना तथा उसे अखबारों या सोशल मीडिया के जरिए वायरल करना-करवाना अलग बात है और जमीनी मानसिकता अलग।
वीडियो में आप देख सकते हैं कि एक किशोर साईकिल से जा रहा है। उसे एक व्यक्ति पीटे जा रहा है। वह किशोर बार-बार साईकिल समेत गिरे जा रहा है। पीटे जा रहा है। पीटने वाला व्यक्ति पुलिसकर्मी ही है, इसकी पुष्टि वहां माजूद एक पुलिसकर्मी और उस दल में शामिल थानेदार की मौजूदगी से होता है।
आखिर पिटाई करने वाला यदि ऐसे उदंड व्यक्ति वाकई पुलिसकर्मी है तो फिर यहां डीजीपी का वह सख्त निर्देश कहां गया कि लॉकडाउन में किसी भी स्तर का पुलिसकर्मी बिना वर्दी थाने से बाहर नहीं निकलेगा और मानवीय पहलु को हमेशा ध्यान में रखेगा?
यह सच है कि देश के ताजा हालात काफी गंभीर है। जबावदेही हर नागरिक की है। भारत सरकार की जनता कर्फ्यू यानि लॉकडाउन का फैसला एक अंतिम बेहतर कदम है।
लेकिन, पुलिस-प्रशासन को यह समझनी चाहिए कि यह उसकी कानूनी जिम्मेवारी नहीं है, बल्कि एक सामूहिक सामाजिक जबावदेही है। जो सिर्फ सिर्फ डंडे से नहीं चल सकती। इसके लिए उसी संदर्भ में आचरण भी करना पड़ेगा। जिसका नितांत आभाव दिख रहा है।