
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम ने उस समय सुर्खियां बटोर लीं, जब डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी के स्वागत में जिला प्रशासन के अधिकारियों ने अपनी पद की गरिमा को तार-तार कर दिया। यह मौका था उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी के दौरे का। जहां प्रोटोकॉल और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए वरिष्ठ अधिकारी वेटर की भूमिका में नजर आए। दो महिला बीडीओ, एक सीडीपीओ और प्रभारी नगर आयुक्त तक खाने से भरे ट्रे और सर्विंग बाउल लेकर वीवीआईपी के लिए दौड़ते-भागते दिखे। मानो उनकी नौकरी का मकसद ही चाटुकारिता करना रह गया हो।
कहते हैं कि यह घटना उस समय सामने आई जब डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी तय कार्यक्रम के तहत हवेली खड़गपुर पहुंचे। दोनों नेता हेलीकॉप्टर से विद्यालय के मैदान पर उतरे और फिर संत टोला स्थित शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान में समीक्षा बैठक के लिए रवाना हुए।
बैठक से पहले वीवीआईपी मेहमानों के लिए जिला प्रशासन ने शाकाहारी भोजन की शानदार व्यवस्था की थी। लजीज व्यंजनों से सजी थालियां तैयार थीं और पेशेवर वेटर भी मेहमानों की आवभगत में जुटे थे। लेकिन जैसे ही मीडिया की टीम वहां पहुंची, एक हैरान करने वाला नजारा सामने आया।
हवेली खड़गपुर की बीडीओ, टेटिया प्रखंड की बीडीओ और हवेली खड़गपुर की सीडीपीओ खाने से भरे ट्रे और सर्विंग बाउल लेकर वीवीआईपी के कमरों की ओर भाग रही थीं। इतना ही नहीं प्रभारी नगर आयुक्त, खेल पदाधिकारी, डीएम के ओएसडी, डीसीएलआर हवेली खड़गपुर, डीपीआरओ और आपदा पदाधिकारी जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी प्लेट में पापड़ और अन्य व्यंजन लेकर नेताओं तक पहुंचाने में व्यस्त थे। ये अधिकारी बार-बार अंदर-बाहर दौड़ रहे थे। ताकि थाली में कुछ कम न पड़ जाए। उनकी यह हरकत देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो वे अपने पद के कर्तव्यों को भूलकर सिर्फ नेताओं की खुशामद में लगे हों।
हैरानी की बात यह थी कि मौके पर जिले के वरीय अधिकारी भी मौजूद थे। लेकिन किसी ने भी इन जूनियर अधिकारियों को प्रोटोकॉल का पाठ पढ़ाने की जहमत नहीं उठाई। न ही इन अधिकारियों को अपनी पद की गरिमा का ख्याल रहा। सभी वीवीआईपी के स्वागत में इतने मशगूल थे कि उन्हें यह एहसास ही नहीं हुआ कि वे प्रशासनिक अधिकारी हैं या महज वेटर। यह दृश्य न सिर्फ हास्यास्पद था, बल्कि बिहार की नौकरशाही की उस मानसिकता को भी उजागर करता है, जो सत्ता के सामने नतमस्तक होने को अपनी उपलब्धि मानती है।
हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब बिहार के अधिकारियों पर चाटुकारिता के आरोप लगे हों, लेकिन इस बार तो हद ही हो गई। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे ये अधिकारी लजीज खाने से भरे ट्रे लेकर हांफते हुए वीवीआईपी तक पहुंच रहे थे। इसे देखकर सवाल उठता है कि क्या बिहार के अधिकारी अब सिर्फ नेताओं की सेवा के लिए ही नियुक्त किए जा रहे हैं? क्या आने वाले दिनों में ये अधिकारी भाजपा-नीतीश सरकार के मंत्रियों के लिए हाउसकीपिंग और लॉन्ड्री सर्विस भी देने लगेंगे?
वहीं इस घटना ने एक बार फिर बिहार की राजनीति और प्रशासन के बीच के उस गठजोड़ को उजागर किया है, जहां चाटुकारिता को तरक्की का रास्ता माना जाता है। जितना ज्यादा अधिकारी सत्तारूढ़ एनडीए नेताओं के सामने पापड़ बेलेंगे और उनकी खुशामद करेंगे। उतना ही उन्हें बिहारवासियों का जीना मुश्किल करने की छूट मिलेगी। अफसरशाही का यह रवैया न सिर्फ जनता के प्रति उनकी जवाबदेही को कमजोर करता है, बल्कि भ्रष्टाचार और मनमानी को भी बढ़ावा देता है।
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। कोई इसे बिहार की नौकरशाही का पतन बता रहा है तो कोई इसे सत्ता की गुलामी का प्रतीक मान रहा है। एक यूजर ने लिखा है कि अगर अधिकारी ही वेटर बन जाएंगे तो जनता की सेवा कौन करेगा? वहीं विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि नीतीश सरकार में अधिकारियों का यह हाल है तो आम जनता की सुनवाई कैसे होगी?
बहरहाल, मुंगेर के हवेली खड़गपुर में हुआ यह वाकया सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि बिहार की उस व्यवस्था का आईना है, जहां सत्ता की चाटुकारिता ही सफलता की कुंजी बन गई है। सवाल यह है कि क्या बिहार के अधिकारी अपने कर्तव्यों को भूलकर सिर्फ नेताओं की सेवा के लिए हैं? और अगर ऐसा ही चलता रहा तो क्या बिहार की जनता को कभी अपने हक और सम्मान का वो स्थान मिल पाएगा, जिसकी उसे हकदारी है?
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