सरायकेला (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। झारखंड के सरायकेला- खरसावां जिले के आरआईटी थाना क्षेत्र स्थित इंडस्ट्रीयल एरिया फेज 1 में सीएनटी एक्ट का उल्लंघन कर रैयती जमीन उद्यमी को आवंटित किए जाने का मामला प्रकाश में आया है।
जहां उद्योगों के लिए जमीन आवंटित करनेवाली सरकारी संस्था आयडा ने इंडस्ट्रीयल एरिया के फेज 1 में आदिवासी की जमीन 1 एकड़ 48 डिसमिल पटेल इंजिनियरिंग वर्क्स को अलॉट कर दिया।
हालांकि आयडा के आदेश के खिलाफ पीड़ित पक्ष की ओर से जिले के अपर समाहर्ता के न्यायालय में मामला दर्ज कराया है। जिसका केस संख्या एसएआर वाद संख्या 7/ 2019- 20 है। जहां से उक्त भू- खंड पर सरायकेला एसडीओ द्वारा अगले आदेश तक धारा 144 लगा दी गई थी।
इन सबके बीच आबंटी धीरज पटेल द्वारा अपने सहयोगी विमल साहू के साथ मिलकर नियम कानून को ताक पर रखते हुए लॉकडाउन का लाभ उठाकर विवादित भू- खंड पर जबरन निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया। वो भी पूरे तामझाम के साथ।
वहीं बीते 6 जून को जमीन के मालिक साधु सरदार ने पूरे मामले से आरआईटी थाना पुलिस को अवगत कराया। उधर आरआईटी थाना पुलिस दलबल के साथ विवादित भू- खंड का मुआयना करने पहुंची जरूर, लेकिन निर्माण कार्य को बंद नहीं कराया।
वैसे पीड़ित पक्ष की ओर से गम्हरिया सीओ से लेकर अन्य सभी पदाधिकारियों को मामले से अवगत कराए जाने की बात कही गई। बावजूद इसके आवंटित द्वारा आयडा से अलॉट किए गए भू- खंड बताकर निर्माण कार्य जारी रखा गया है। जबकि उक्त भू- खंड पर धारा 144 लागू है।
अब सवाल उठता है कि आखिर किसके इशारे पर विवादित औऱ न्यायालय में विचाराधीन मामले पर आबंटी द्वारा निर्माण कार्य कराया जा रहा है ? निर्माण कार्य की सूचना मिलने के बाद पहुंची आरआईटी थाना पुलिस ने न्यायालय के आदेशों का पालन कराना जरूरी क्यों नहीं समझा?
उससे भी बड़ा सवाल ये कि आखिर कैसे आयडा जैसी सरकारी संस्था ने सीएनटी एक्ट का छेड़छाड़ कर आदिवासी जमीन को किसी उद्योग के लिए आवंटित कर दिया? आखिर इसके लिए जिम्मेवार कौन है ?
बता दें कि उक्त भूखंड का मूल रैयत रामेश्वर सरदार है। जो अभी जीवित नहीं हैं। उनके वंशज आज भी उक्त भू- खंड का नियमित लगान चुकाते हैं। साल 2020- 21 में भी उक्त भू- खंड का सरीद मूल रैयत रामेश्वर सरदार के नाम से कटा है, जिसका सरीद संख्या 0273180371 है। जमीन का खाता संख्या 206 है, और खेसरा संख्या 139, 140,141, 356 औऱ 357 है।
जमीन का सारा ब्यौरा वोल्यूम 1 के पेज संख्या 206 में दर्ज है। यह भू- खंड गम्हरिया अंचल के दिंदली मौजा में पड़ता है। तो हुई न कहावत चरितार्थ “माल महाराज का, मिर्जा खेले होली।” जमीन आदिवासी का। कानून सीएनटी। मूल रैयत गायब, वास्तविक रैयत आयडा।
वैसे आदिवासी जमीन का बड़े पैमाने पर खेल के पीछे सरकारी तंत्र किस तरह से हावी है, इसका जीता जागता उदाहरण इस मामले में देखा जा सकता है। जहां अब आदिवासी को अपनी ही जमीन बचाने के लिए सरकारी तंत्र से लड़ाई लड़नी पड़ रही है।