Home आधी आबादी उद्गम के जज्बे को सलाम, देखिए भूख से बुजुर्ग की तड़प

उद्गम के जज्बे को सलाम, देखिए भूख से बुजुर्ग की तड़प

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कोरोना को लेकर पूरे देश में लॉक डाउन है। उधर लॉक डाउन के बाद सबसे बुरा हाल दिहाड़ी मजदूरों और लाचार लोगों का है। वैसे भले देश के प्रधानमंत्री से लेकर राज्यों की सरकारें यह दावा कर रही है कि किसी को भूखा रहने नहीं दिया जाएगा। जहां इसको लेकर पीएम से लेकर सीएम और मंत्री लगातार बैठक कर सभी विभागों और निकायों को राहत और बचाव कार्य तेज करने का निर्देश दे रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है….”

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एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। जी हां, हम बात कर रहे हैं सरायकेला- खरसावां जिला के आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र की। आपको याद दिला दें कि कल ही निगम क्षेत्र के वार्ड संख्या 27 की लाचार बेबस दिहाड़ी मजबूरी जब पेट की आग बर्दाश्त ना कर सके तो उन्होंने मेयर विनोद कुमार श्रीवास्तव के घर का रुख किया।

जहां से उन्हें निराशा ही हाथ लगी। जहां इन मजदूरों ने बताया कि अनाज मांगने पर मेयर ने बीमारी बताकर पुलिस बुलवाकर खदेड़वा दिया था। वैसे हमने इस खबर को काफी प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

वहीं आज जमशेदपुर के गोदी मीडिया द्वारा वैसे तो खबर को प्राथमिकता से प्रकाशित किया, लेकिन मेयर का झूठा पक्ष को सच मानकर बगैर तथ्यों को जाने यह छाप दिया, कि मेयर ने पुलिस के माध्यम से सूची बनवाकर उक्त वार्ड में जरूरतमंदों के बीच अनाज का वितरण करवाया है, जो बिल्कुल ही तथ्य हीन और सच्चाई से कोसों दूर है।

हकीकत यह है कि उक्त वार्ड के पीड़ित दिहाड़ी मजदूर जो कल उनके दरबार में फरियाद लेकर पहुंचे थे उन्हें मेयर द्वारा अनाज का एक दाना भी उपलब्ध नहीं कराया गया। खैर यह मेयर की संवेदना और गोदी मीडिया जाने।

लेकिन हमारी खबरों पर संज्ञान लेते हुए आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र की सामाजिक संस्था उद्गम ने बेहतरीन पहल शुरू की और वार्ड 27 में आज लगभग 300 दिहाड़ी मजदूरों के घर- घर घूम कर संस्था की संरक्षक सोनिया सिंह और उनके कार्यकर्ताओं ने सोशल डिस्पेंसिंग के साथ जरूरी सावधानियां बरतते हुए अनाज आदि का वितरण किया।

साथ ही लोगों को जागरूक भी किया और हौसला दिया कि संस्था के रहते एक भी परिवार भूखा नहीं सोएगा। जरूरत पड़ने पर दोबारा संस्था के सदस्य फिर से आएंगे। वहीं संस्था की संवेदना देखकर बस्ती वासियों के आंख में खुशी के आंसू देखे गए।

जबकि एक लाचार बेबस बुजुर्ग महिला तो फूट फूट कर रो पड़ी। निश्चित तौर पर यह तस्वीर आपको विचलित कर सकती है, वैसे शासन-प्रशासन और माननीयों की संवेदना इन गरीब लाचार बेबस के साथ आखिर क्यों नहीं नजर आती।

वहीं हमारी खबरों पर संज्ञान लेते हुए वयोवृद्ध समाजशास्त्री लोहिया वादी रविंद्र नाथ चौबे भी व्यथित हो उठे और खुद को न रोक सके उन्होंने अपने दम पर दानदाताओं से संपर्क करते हुए वार्ड 27 के अत्यंत जरूरतमंद 30 अन्य परिवारों को अनाज उपलब्ध कराया।

रवींद्र नाथ चौबे ने भी उद्गम के प्रयासों की सराहना की और कहा अन्य संस्थाओं को भी आगे आकर विपदा की इस घड़ी में जरूरतमंदों तक सामर्थ्य के हिसाब से सहयोग करने की जरूरत है।

उन्होंने सख्त लहजे में कहा ऐसे मौके पर राजनीति नहीं, सहानुभूति की आवश्यकता है। जिंदा रहेंगे तब राजनीति होगी। आखिर इन्हीं के भरोसे तो राजनीति होती है जब यही न रहेंगे तो राजनीति किस पर होगी।

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