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दावाः कोविड होने के बाद वैक्सीन लेने वाले अधिक सुरक्षित, डेल्टा वेरिएंट भी पड़ा कमजोर

जिन्हें पहले कोरोना संक्रमण हुआ है फिर वैक्सीन ली, उनमें डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ ज्यादा प्रोटेक्शन पाया गया है। मैक्स हॉस्पिटल की एक स्टडी में इसका खुलासा हुआ है। जिन लोगों को पहले कोरोना नहीं हुआ है, वे सबसे पहले वैक्सीनेशन कराएं, क्योंकि उन्हें संक्रमण का खतरा ज्यादा है और उनमें बीमारी की गंभीरता भी ज्यादा है….

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्क। मैक्स की इस स्टडी में 597 हेल्थकेयर वर्करों को शामिल किया गया था। इसमें से 25.3 पर्सेंट को ब्रेकथ्रू इंफेक्शन हुआ यानी वैक्सीन की दोनों डोज के बाद भी उन्हें संक्रमण हुआ। यह स्टडी जनवरी से लेकर मई के बीच की गई थी। इस स्टडी में 53 पर्सेंट लोगों में एंटीबॉडी पाई गईं।

डॉक्टरों के मुताबिक जिन लोगों को पहले से संक्रमण हुआ था और उन्होंने वैक्सीन की एक डोज ले रखी थी, उसमें एंटीबॉडी बहुत अच्छी थी। लेकिन जिन्होंने दोनों डोज ले रखी थीं, उनमें यह बहुत ही अच्छी थीं।

ऐसे लोगों में संक्रमण का खतरा बहुत कम मिला और जिन्हें संक्रमण हुई भी उनमें डेल्टा वेरिएंट का असर बहुत कम पाया गया। सीविएरिटी न के बराबर मिली। मात्र 2.5 पर्सेंट को रीइंफेक्शन मिला।

लेकिन, जिन लोगों को पहले से कोरोना संक्रमण नहीं हुआ था और उन्होंने वैक्सीन की केवल एक डोज ले रखी थी, उनमें से 48 पर्सेंट हेल्थकेयर वर्कर संक्रमित हुए। जिन लोगों ने दोनों डोज ले रखी थीं, उनमें से केवल 12 पर्सेंट संक्रमित हुए।

इससे यह पता चल रहा है कि वैक्सीन कई बार संक्रमण से प्रोटेक्शन नहीं कर पाई, लेकिन संक्रमण होने पर गंभीर बीमारी से जरूर बचा रही है। इसलिए, हर किसी को कोविड वैक्सीनेशन कराना चाहिए और साथ में कोविड बिहेवियर का पालन भी करते रहना चाहिए।

बड़े परिपेक्ष्य से बात करें तो जो लोग पहले से संक्रमित हैं, उनमें वैक्सीन लेने के बाद ज्यादा मजबूत सुरक्षा मिल रही है। लेकिन जो लोग संक्रमित नहीं हुए हैं, उन्हें कम सुरक्षा मिल रही है।

यही नहीं, अभी थर्ड वेव की बात हो रही है, इसमें देखा जा रहा है कि जहां पर दूसरी वेव के दौरान संक्रमण का असर कम था, वहां पर तीसरी लहर का ज्यादा खतरा है।

इसी प्रकार जो लोग अभी तक संक्रमित नहीं हुए हैं, उन्हें संक्रमण का ज्यादा खतरा है। इसलिए, कोशिश होनी चाहिए कि जो लोग संक्रमित नहीं हुए हैं, उन्हें सबसे पहले वैक्सीन दी जाए।

एक सुझाव के तौर पर यह कहा जा सकता है कि वैक्सीनेशन से पहले एंटीबॉडी जांच कराएं, जिनमें एंटीबॉडी बिल्कुल नहीं है, उन्हें सबसे पहले वैक्सीन दें। क्योंकि अभी भी देश में वैक्सीन की कमी है। लेकिन, इसके पीछे आम लोगों को भागने की जरूरत नहीं है। इस पर सरकार को विचार करना चाहिए।

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