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    Wednesday, December 4, 2024
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      राष्ट्रपति चुनाव: भाजपा ने आदिवासी कार्ड खेलकर झामुमो को उलझा दिया

      “झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को भाजपानीत राजग ने राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी बनाकर एक तीर से कई निशाना साधा है। भाजपा का यह ट्रंप कार्ड झारखंड की सत्ता में काबिज झामुमो के लिए गले की फांस बन गयी है। आदिवासी राजनीति के बूते ही झामुमो की राजनीति कायम है…

      राँची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)।  देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति मिलने जा रहा है। आजादी के बाद यह पहला मौका है जब किसी महिला आदिवासी को देश के सर्वोच्च पद के लिए प्रत्याशी बनाया गया है।

      झारखण्ड विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के लिए 28 सीट आरक्षित हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में इन 28 सीटों में झामुमो को बम्पर 19 सीटों पर जीत मिली थी।

      81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में पिछले चुनाव में झामुमो 30 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जिसमें 19 जनजातीय सीट शामिल है। भाजपा को मात्र दो जनजातीय सीट पर संतोष करना पड़ा था।

      अलग राज्य बनने के बाद झामुमो ने वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में सबसे बेहतर प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में झामुमो को जनजातीय समुदाय का समर्थन मिला यह परिणाम से ही साफ़ है। झामुमो अभी यूपीए गठबंधन के साथ है।

      राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए ने पूर्व विदेश और वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में झामुमो के समक्ष एक यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है।

      यक्ष प्रश्न यह है कि क्या कह अपने पारंपरिक वोट आदिवासी को छोड़कर यूपीए प्रत्याशी यशवंत सिन्हा का साथ दे या झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन के उस तपस्या के साथ जाए, जिसमें उन्होंने वृहत झारखंड के जनजातीय समुदाय के उत्थान के लिए काम किया है।

      क्या राज्यसभा चुनाव की तरह कोई क्रन्तिकारी कदम उठा सकता है झामुमोः यह सच है कि झारखंड में कांग्रेस और राजद के समर्थन से हेमंत सोरेन की सरकार चल रही है। आज भी झामुमो को यदि किसी वर्ग का सबसे ज्यादा समर्थन है तो वह जनजातीय वर्ग है। पिछले चुनाव में जिस तरह से संथाल और कोल्हान में झामुमो ने जनजातीय सीट पर विपक्षी दलों का सुपड़ा साफ़ कर दिया था, वह इस बात की ताकीद करता है।

      ऐसे में राजग द्वारा राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में झारखंड के पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का नाम घोषित किये जाने के बाद राजनीतिक गलियारे में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या राज्यसभा चुनाव की तरह झामुमो राष्ट्रपति चुनाव में भी कोई क्रन्तिकारी कदम उठा सकता है। इसके पीछे कई तर्क भी दिए जा रहे हैं।

      मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के बीच गहरे रिश्ते हैं। झामुमो को यह भी पता है कि विपक्ष भले ही राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी खड़ा कर दिया है लेकिन अंकगणित राजग प्रत्याशी के पक्ष में ही है। यानि चुनाव महज एक औपचारिकता होगी। ऐसे में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रहे हेमंत सोरेन राजग प्रत्याशी का समर्थन करने के लिए आगे आ सकते हैं।

      अगर उन्होंने इसके विपरीत निर्णय लिया तो विपक्ष का साथ देने पर हेमंत सोरेन को भविष्य में राजनीतिक नुकसान का डर सताएगा। भाजपा को उन्हें कठघरे में खड़ा करने का मौका मिलेगा। लिहाजा उनके लिए यह धर्मसंकट की स्थिति होगी। अगर वे राजग के साथ जाएंगे तो कांग्रेस असहज होगी।

      राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी का निर्णय आना बाकी : हेमंत सोरेन

      इस बीच राष्ट्रपति चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बड़ा बयान दिया है। उन्होनें कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में किसको समर्थन देना है, इसपर अभी झामुमो में निर्णय नहीं हुआ है। इसको लेकर पार्टी की बैठक होगी। बैठक में तय होगा कि झामुमो किसको समर्थन करेगा। कहा कि अभी चुनाव में समय है।

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