मधुबनी (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। मौजूदा महंगाई के दौर में मात्र 8000 रुपये की सैलरी में गुज़र-बसर करना चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में मधुबनी जिले के मध्य विद्यालय सौराठ के शारीरिक शिक्षक एवं स्वास्थ्य अनुदेशक रामकिशोर कुमार ने अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर शिक्षा विभाग और सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। रामकिशोर का कहना है कि इस वेतन में परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल है और सरकार शिक्षकों की पीड़ा को नज़रअंदाज़ कर रही है।
अपने त्याग पत्र में रामकिशोर ने खुलासा किया कि उनके परिवार में कई गंभीर समस्याएं हैं। उनकी माँ की तबियत नाज़ुक है और उनके बड़े भाई को गले का कैंसर है। जिसके इलाज के लिए खर्चा उठाना उनके लिए इस सैलरी में संभव नहीं हो पा रहा है। उन्होंने लिखा कि 8000 रुपये में घर का राशन तक नहीं आता। ऐसे में परिवार के मेडिकल खर्चों का बोझ उठाना असंभव हो गया है।
महंगाई के दौर में शिक्षक की पीड़ाः आज के दौर में जब हर चीज़ के दाम आसमान छू रहे हैं। तब सरकार की ओर से इतनी कम सैलरी में शिक्षकों को काम करने के लिए मजबूर करना निराशाजनक है।
रामकिशोर के अनुसार दिहाड़ी मजदूर भी प्रतिदिन 500 रुपये तक कमा लेते हैं। जिससे उनका मासिक वेतन 15000 से 20000 रुपये तक पहुँच जाता है। वहीं 8000 रुपये की मासिक आय के साथ शिक्षकों से उम्मीद करना कि वे गुणवत्तापूर्ण जीवन जिएंगे। एक विडंबना बन चुका है।
प्रधानाध्यापिका अनीता कुमारी ने उनके इस्तीफे को स्वीकृति दे दी है। उन्होंने बताया कि रामकिशोर एक मेहनती शिक्षक थे और उनके इस्तीफे ने यह साफ़ कर दिया है कि कम वेतन के चलते कई अन्य शिक्षक भी अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं।
सरकार के प्रति नाराजगीः रामकिशोर के इस्तीफे से प्रदेश के अन्य शिक्षकों में भी असंतोष का माहौल बन रहा है। उनकी मांग है कि सरकार उन्हें सिर्फ़ शिक्षा देने के लिए नहीं, बल्कि एक सम्मानजनक जीवन देने के लिए भी जिम्मेदार बने। शिक्षकों का कहना है कि सरकार यदि उनकी सैलरी में वृद्धि नहीं करती तो शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे कई योग्य शिक्षक अपनी आजीविका के लिए अन्य विकल्प तलाशने पर मजबूर हो जाएंगे।
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