Home गांव-देहात फतुहा-इस्लामपुर रेलखंड पर जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को विवश हैं...

फतुहा-इस्लामपुर रेलखंड पर जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को विवश हैं यात्री

0

” रैक की कमी बताया जाता है भीड़ का कारण, सुबह वाली ट्रेन में रहती है यात्रियों की भीड़ “

HILSA NEWS1हिलसा (चन्द्रकांत)। फतुहा-इस्लामपुर रेलखंड पर जान जोखिम में डालकर यात्रा करना यात्रियों की मजबूरी बन गई है। रैक की कमी के कारण हर रोज सुबह में पटना जाने वाली ट्रेन में यात्रियों की भीड़ रहती है।

तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार फतुहा-इस्लामपुर रेलखंड पर ट्रेन दौड़वाने में सफल रहे। पहले सवारी गाड़ी देकर राज्य की राजधानी तक हिलसा के लोगों को पहुंचाने वाले रेल मंत्री नीतीश कुमार जाते-जाते मगध एक्सप्रेस का परिचालन करवा कर हिलसा के लोगों को देश की राजधानी दिल्ली का सफर आसान कर दिया।

इसके बाद बने रेल मंत्री लालू प्रसाद बक्सर से इस्लामपुर के बीच समधिनिया ट्रेन और हटिया से चलकर राजेन्द्रनगर आने वाली ट्रेन को इस्लामपुर तक विस्तारित कर दिए। लेकिन रेल विभाग द्वारा पैसेंजर ट्रेन में सुविधा बढ़ाने के बजाए और कटौती कर दी गयी।

सीधे जाने वाली बक्सर-इस्लामपुर पैसेंजर को फतुहा तक ही सीमित कर दिया। दिन में राजेन्द्र नगर तक जाने वाली हटिया एक्सप्रेस के समय में बदलाव कर दिया गया।

इस कारण सुबह पटना जाने वाली पैसेंजर ट्रेन में यात्रियों का दबाब काफी बढ़ गया। इस्लामपुर से खचाखच भर कर आने वाली पैसेंजर ट्रेन के हिलसा पहुंचते-पहुंचते यात्री इस कदर लद जाते हैं, जैसे मानो किसी पेड़ पर मधुमक्खी का खोंता लगा हुआ है। जान जोखिम में डालकर यात्रा करने वाले यात्रियों को कोई हिदायत देने वाला भी नहीं होता है।

दैनिक यात्री गुड्डू की मानें तो यात्रियों के हित में रेलवे को सुबह पटना जाने वाली पैसेंजर ट्रेन में रैक की संख्या बढाई जाए तथा दिन के दस बजे के आसपास पटना जाने के लिए एक ट्रेन की सुविधा बहाल की जाए।

……… और यूं बच गई मनोज की जान

परिजन के सहारे इलाज के लिए अस्पताल जाते घायल मनोज…..

…. और जब नई जिंदगी मिलने पर मनोज न केवल सुकून भरी सांस ली बल्कि ईश्वर के प्रति आभार भी जताया। मूलत: हिलसा थानाक्षेत्र के जूनियार गांव निवासी मनोज पटना जाने के लिए घर से निकला। खचाखच भीड़ के बीच मनोज किसी प्रकार इस्लामपुर से पटना जाने वाली पैसेंजर ट्रेन के बॉगी का हैंडल पकड़कर लटक गया।

हिलसा पहुंचने से पहले ही हैंडल से मनोज का हाथ छूटा और वह पटरी के किनारे गिट्टी पर जा गिरा। ट्रेन के स्टेशन पर रुकते ही मनोज के साथ रहे लोग चिल्लाते हुए दौड़ पड़े। चिल्लाने की आवाज पर यात्रियों की भीड़ भी दौड़ पड़ी।

सभी मनोज को जिंदा देख लोग राहत की सांस ली। मनोज के सिर के पिछले भाग में गिट्टी गड़ने फट गया। इसके अलावा हल्की चोटें शरीर पर लगी हुई थी।

परिवार के लोग मनोज को इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल ले गए। प्राथमिक उपचार के बाद मनोज को छुट्टी कर दी गई।

error: Content is protected !!
Exit mobile version