Home बिहार गवर्नर नहीं, सीएम खुद संभालेंगे बिहार इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी की कमान

गवर्नर नहीं, सीएम खुद संभालेंगे बिहार इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी की कमान

0

अभी सभी सरकारी और निजी इंजीनियरिंग कॉलेज वर्ष 2010 में स्थापित आर्यभट्‌ट ज्ञान विवि के अधीन हैं। लेकिन जिस उद्देश्य से आर्यभट्‌ट यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई थी, वह उसमें विफल रहा है

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क बिहार के सभी इंजीनियरिंग कॉलेज अब ‘बिहार इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी’  के अधीन होंगे। इस इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी  के चांसलर गवर्नर नहीं, सीएम  होंगे।

बिहार का यह पहला अपना यूनिवर्सिटी होगा, जिसके चांसलर ‘गवर्नर’ नहीं होंगे। विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग ने बिहार इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी विधेयक का प्रस्ताव तैयार कर लिया है।

वित्त विभाग और विधि विभाग से मंजूरी मिल गई है। 26 जुलाई से विधानमंडल का मानसून सत्र होने वाला है, जिसमें इसे पारित कराया जाएगा। कानून बनने के बाद यूनिवर्सिटी अस्तित्व में आ जाएगा।

उससे बाद वीसी, एक्जामिनेशन कंट्रोलर, रजिस्ट्रार, फाइनेंस ऑफिसर जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बहाली होगी। उम्मीद है कि अगले सत्र 2022-23 से इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी पूरी तरह से काम करने लगेगा।

अभी सभी सरकारी और निजी इंजीनियरिंग कॉलेज वर्ष 2010 में स्थापित आर्यभट्‌ट ज्ञान विवि के अधीन हैं। लेकिन जिस उद्देश्य से आर्यभट्‌ट यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई थी, वह उसमें विफल रहा है।

मसलन देश के अधिसंख्य टेक्निकल यूनिवर्सिटी में ‘आर्टिफिशल इंटेलिजेंस’ की पढ़ाई शुरू हो गई है, पर हमारे यहां इसकी शुरुआत नहीं हो सकी है।

अब भी यहां वही पुराने विषयों (सिविल, मेकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर साइंस, आईटी) की पढ़ाई हो रही है। इन विषयों में भी नए शोध के अनुकूल पाठ्यक्रम में बदलाव नहीं हुआ।

इससे अद्यतन तकनीक और स्कील से छात्र वंचित, उन्हें रोजगार ढूढ़ने में परेशानी आती है। नतीजा छात्र राज्य से बाहर चले जाते हैं और यहां के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों की सीटें खाली रह जाती हैं।

अब इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी में एआईसीटीई से अनुमोदित सिर्फ इंजीनियरिंग, प्रबंधन, ऑर्किटेक्चर और प्लानिंग की ही पढ़ाई होगी। सिर्फ प्रबंधन की पढ़ाई कराने वाले कॉलेजों को भी नहीं जोड़ा जाएगा। मान्यता के लिए उसमें इंजीनियरिंग की पढ़ाई होनी जरूरी है।

इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी की गुणवत्ता को मेंटेन रखने के लिए आईआईटी पटना, एनआईटी पटना, चंद्रगुप्त इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट पटना और मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, पटना के निदेशकों को सदस्य बनाया जाएगा।

एआईसीटीई और यूजीसी के प्रतिनिधि भी होंगे। इससे पाठ्यक्रम में जरूरत के अनुरूप तुरंत बदलाव हो सके। अभी शुरुआत अस्थायी परिसर से की जाएगी। संभावना है कि मीठापुर बस अड्‌डा वाली जमीन पर स्थायी परिसर का निर्माण होगा।

राज्य के 38 सरकारी व 15 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज इसके अधीन होंगे। जिनमें एमआईटी मुजफ्फरपुर, बीसीई भागलपुर, जीसीई गया, डीसीई दरभंगा, एमसीई मोतिहारी, जेपी इंस्टीट्यूट छपरा, नालंदा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग चंडी, दिनकर कॉलेज ऑफ इंजिनियरिंग बेगूसराय, बीपी मंडल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग मधेपुरा, शेरशाह इंजीनियरिंग कॉलेज सासाराम, रेणु इंजीनियरिंग कॉलेज अररिया, एसआईटी सीतामढ़ी, बख्तियारपुर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ शेखपुरा, लखीसराय, वैशाली, भोजपुर, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, बक्सर, जमुई, बांका, नवादा, किशनगंज, मुंगेर, शिवहर, प. चंपारण, सुपौल, कैमूर, गोपालगंज, सीवान, समस्तीपुर, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, खगड़िया, मधुबनी शामिल हैं।

error: Content is protected !!
Exit mobile version