पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे भाजपा के पूर्व दिग्गज यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार होंगे। इसकी जानकारी उन्होंने खुद मंगलवार को अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से दी।
सिन्हा ने ट्वीट किया कि ममता ने जो सम्मान मुझे तृणमूल कांग्रेस में दिया, मैं उसके लिए उनका आभारी हूं। अब समय आ गया है जब वृहद विपक्षी एकता के व्यापक राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए मुझे पार्टी से अलग होना होगा। मुझे यकीन है कि वह (ममता) इसकी अनुमति देंगी।
तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा ने मंगलवार को पार्टी छोड़ने का ऐलान करते हुए कहा कि अब वह वृहद विपक्षी एकता के व्यापक राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए काम करेंगे।
कई दिनों से ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूर्व केंद्रीय मंत्री सिन्हा का नाम आगामी राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार के रूप में पेश करेंगी।
जदयू का भी मिल सकता समर्थनः बिहार के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यशवंत सिन्हा के नाम पर मुहर इसलिए लगाई गई क्योंकि विपक्ष जिनका नाम प्रस्तावित करता था, वे इन्कार कर रहे थे। ऐसे में किसी ऐसे चेहरे की जरूरत थी जो कि तैयार भी हो और उसपर विवाद भी न हो।
जदयू दो बार ऐसा कर चुकी है।नीतीश कुमार ने लीक से हटकर उम्मीदवार का समर्थन किया है। राजग का हिस्सा होते हुए भी उन्होंने प्रणव मुखर्जी का समर्थन किया था। पिछले चुनाव की तो उन्होंने रामनाथ कोविंद का समर्थन किया जबकि वह उस समय महागठबंधन का हिस्सा थे।
यशवंत सिन्हा का जीवन परिचयः यशवंत सिन्हा का जन्म 06 नवम्बर, 1937 को पटना में हुआ था। यशवंत सिन्हा ने वर्ष 1958 में पटना विश्वविद्यालय (पीयू) से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर किया। इसके बाद पीयू में ही 1960 तक छात्रों को पढ़ाया।
वर्ष 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए सेवा में 24 से अधिक वर्ष बिताए। इस दौरान उन्होंने चार वर्षों तक सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में भी सेवा दी।
यशवंत सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दिया। इसके बाद जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति से जुड़ गए। वर्ष 1986 में उनको पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया और 1988 में उन्हें राज्य सभा का सदस्य चुना गया।
1990-91 में वे चंद्रशेखर सरकार में वित्तमंत्री रहे। जून 1996 में वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। मार्च 1998 में अटल सरकार में उनको वित्त मंत्री और विदेश मंत्री नियुक्त किया गया। 22 मई 2004 तक संसदीय चुनावों के बाद नई सरकार के गठन तक वे विदेश मंत्री रहे।
करीब तीन दशक तक भाजपा से जुड़े रहने के बाद पार्टी छोड़ दी। यशवंत और पीएम मोदी के बीच दूरियां भी काफी बढ़ गई। उन्होंने यह कहते हुए भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया कि वे 2009 के आम चुनावों में हार के पश्चात पार्टी द्वारा की गई कार्रवाई से असंतुष्ट थे।
मोदी सरकार को घेरने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा मार्च 2021 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए। अब वे राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा उम्मीदवार से दो-दो हाथ करते दिखेंगे।
- नीतीश मंत्रिमंडल ने गया डुंगेश्वरी पर्वत पर रोपवे निर्माण समेत कुल 13 एजेंडों पर लगाई मुहर
- भारतीय परमाणु मिसाइलों की ‘जासूसी’ मामले में डीआरडीओ लैब इंजीनियर अरेस्ट
- फिल्म जुग जुग जीयो मामले में करण जौहर ने रांची कॉमर्शियल कोर्ट में दाखिल की याचिका, कहा…
- एके-47 मामले में बाहुबली मोकामा विधायक अनंत सिंह को 10 साल की सजा
- अयोध्या श्रीराम मंदिर के लिए दान में अबतक मिले 5457.94 करोड़ रुपए, जानें स्रोत