एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। बीते दिनों भारत की केन्द्र सरकार ने ‘हिट एंड रन’ को लेकर बेहद सख्त नियम बनाये है। सरकार द्वारा लाये गए हिट एंड रन के नए नियमों के खिलाफ उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, राजस्थान सहित देश भर के कई राज्यों के ट्रक ड्राइवर और ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर विरोध कर रहे है। चलिये जानते है क्यों इन नियमों का विरोध किया जा रहा है।
दरअसल केन्द्र सरकार द्वारा लाये गए हिट एंड रन के नए नियमों के खिलाफ उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, गुजरात, राजस्थान सहित देश भर के कई राज्यों के ट्रक ड्राइवर और ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर जमकर विरोध कर रहे है। ‘हिट एंड रन’ के नियमों को भारतीय न्याय संहिता के तहत लाया गया है जिनको काफी सख्त बनाया गया है। नए कानून के विरोध में कई राज्यों के ट्रक ड्राइवरों ने चक्का जाम शुरू कर दिया है।
आखिर क्या है ‘हिट एंड रन’ का नया नियम? केंद्र सरकार ने ‘हिट एंड रन’ से जुड़े मामलों से सख्ती से निपटने के लिए भारतीय न्याय संहिता के तहत नए नियम को लागू किया है। इसके तहत ऐसे मामलों में ड्राइवरों को 10 साल तक की सजा या 7 लाख रुपये तक के जुर्माने की बात कही गयी है। नए प्रावधानों के अनुसार गंभीर सड़क दुर्घटना का कारण बनने वाले ड्राइवरों पर नकेल कसने की तैयारी की गयी है। गंभीर सड़क दुर्घटनाओं के समय ड्राइवरपुलिस या प्रशासन के किसी भी अधिकारी को सूचित किए बिना दुर्घटना स्थल से भाग जाते थे।
आखिर ‘हिट एंड रन’ के नए नियमों का विरोध क्यों? नए नियमों की सख्ती को देखते हुए ड्राइवरों का कहना है कि कई ड्राइवर अपनी लोन पर गाड़ियों को लेकर चला रहे है। ऐसे में जुर्माने की भारी कीमत भरने में उन्हें काफी समस्या होगी। उनका यह भी कहना है कि उच्च ब्याज वाले ऋण और बढ़ते पेट्रोलियम के दामों के कारण ट्रांसपोर्ट सेक्शन में लाभ मार्जिन कम होता जा रहा है। यदि सरकार की ओर से ऐसे नियम लाये जायेंगे तो हमारे लिए और समस्या बढ़ जाएगी।
सरकार ने लापरवाही से गाड़ी चलाने पर गंभीर सड़क दुर्घटना होने और पुलिस या प्रशासन के किसी अधिकारी को पूर्व सूचना दिए बिना मौके से भागने वाले चालकों को 10 साल तक की सजा का प्रावधान है साथ ही सात लाख तक के जुर्माने का भी प्रावधान है।
आखिर अभी तक कैसे थे नियम? पुराने नियमों के तहत अभी तक हिट एंड रन के केस में आईपीसी की धारा 279 लापरवाही से वाहन चलाने, 304 A लापरवाही के कारण मौत और 338 जान जोखिम में डालना के तहत केस दर्ज किया जाता था, जिसमें 2 साल की सजा का प्रावधान होता था। लेकिन अब इसमें बदलाव कर दिया गया है।
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