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    Thursday, April 25, 2024
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      जेजेबी जज ने मिठाई चोर को किया रिहा, कहा- ऐसे तो ‘माखनचोर श्रीकृष्ण लीला’ ही न होती ! जानें बड़ा रोचक मामला

      हमारी सनातन संस्कृति में भगवान की बाल लीला को दर्शाया गया है। भगवान कृष्ण अनेकों बार दूसरे के घर से माखन चुराकर खा लेते थे और मटकी भी फोड़ देते थे। यदि वर्तमान समाज जैसा उस समय का समाज रहता तो बाल लीला की कथा ही नहीं होती

      बिहार शरीफ ( एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क )। नालंदा जिला किशोर न्याय परिषद के प्राधन दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र ने एक बार फिर बड़ा रोचक फैसला सुनाया है।

      खबरों के मुताबिक अपने ननिहाल में पड़ोसी के घर फ्रीज में रखी मिठाई चुराकर खाने के आरोपी किशोर को दोषमुक्त करते हुए उन्होंने आदेश में कहा कि हमें बच्चों के मामले में सहिष्णु और सहनशील होना पड़ेगा। उनकी कुछ गलतियों को समझना पड़ेगा कि आखिर बच्चे में भटकाव किस परिस्थिति में आया।

      उन्होंने कहा कि एक बार हम बच्चे की मजबूरी, परिस्थिति, सामाजिक स्थिति को समझ जायें तो उनके इन छोटे अपराधों पर विराम लगाने के लिए समाज स्वयं आगे आने और मदद के लिए तैयार हो जायेगा।

      उन्होंने यह भी कहा कि हमारी सनातन संस्कृति में भगवान की बाल लीला को दर्शाया गया है। भगवान कृष्ण अनेकों बार दूसरे के घर से माखन चुराकर खा लेते थे और मटकी भी फोड़ देते थे। यदि वर्तमान समाज जैसा उस समय का समाज रहता तो बाल लीला की कथा ही नहीं होती।

      उन्होंने आदेश में यह भी कहा कि पड़ोसी को भुख लगी है, बीमार है, लाचार है तो बजाय सरकार को कोसने के पहले हमे अपने सामर्थ्य के अनुसार पहल करनी होगी। यह जानते हुए कि बच्चा ननिहाल आया हुआ है और मिठाई खा लिया तो उन्हें बच्चा समझकर बात खत्म करनी चाहिए थी।

      यह मामला हरनौत थानान्तर्गत चेरो ओपी ईलाक की है। आरोपी किशोर आरा का रहने वाला है और वह अपने ननिहाल आया हुआ था। घटना 7 सितम्बर 21 की है।

      किशोर के हित में योजना बनाने का निर्देशः जज ने जिला बाल संरक्षण इकाई को आरा के बाल संरक्षण इकाई से संपर्क कर यह सुनिश्चित करने को कहा कि किशोर सुरक्षित रहे। किसी दुर्व्यवहार या अभाव के कारण वह फिर से अपराध करने के लिए मजबूर न हो। साथ ही ऐसी योजना तैयार करें, जिससे किशोर की भलाई हो और उसकी मूलभूत आवश्यकताएं पूरी हो।

      उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि भोजन के अभाव में पुन: अपराध करने को विवश न हो। इस विधि विरूद्ध किशोर को इस अपराध के लिए किसी प्रकार की सजा दिये जाने से ज्यादा जरूरत इसके देखभल, संरक्षण और मदद की है।

      पुलिस को दी हिदायत, नहीं करनी थी एफआईआरः बिहार किशोर न्याय अधिनियम 2017 के तहत पुलिस को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के बजाय डेली जेनरल डायरी में दर्ज करना चाहिए था।

      जेजेबी जज ने अपने आदेश में कहा कि यदि अपराध साधारण प्रकृति का हो और केवल किशोर द्वारा किये जाने की पुष्टि हो तो ऐसे मामले में एफआईआर दर्ज नहीं होती।

      आरा से आया था ननिहालः आरोपी किशोर अपने ननिहाल घूमने आया था। भूख लगने पर वह पड़ोस की मामी के घर घुस गया था। फ्रीज खोलकर उसमें रखी सारी मिठाई खा गया।

      फ्रीज के ऊपर एक मोबाइल रखा था, जिसे लालचवश लेकर निकल गया और मोबाइल से गेम खेल रहा था कि उसी वक्त मामी ने उसे पकड़कर पुलिस को सौंप दिया।

      बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है कि वह भूख के कारण वादिनी के घर में घुस गया था।

      तंगहाली का शिकार है परिवारः काउंसिलिंग के दौरान किशोर ने जेजेबी को बताया कि उसके पिता बस ड्राइवर थे। दुर्घटना में उनकी रीढ़ की हड्‌डी टूट गयी है। तब से वह लगातार बेड पर हैं।

      उसकी मां मानसिक रूप से बीमार है। परिवार में कोई कमाने वाला नहीं है। आर्थिक स्थिति खराब रहने के कारण मां का इलाज कराया नहीं जा रहा है।

      किशोर ने यह भी कहा कि नाना और मामा की मृत्यु हो चुकी है। नानी काफी वृद्ध है। उसके माता-पिता कोर्ट आने में लाचार हैं। अब वह आगे ऐसा नहीं करेगा।

       

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