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    Friday, April 19, 2024
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      पुलिस का खेला जारीः अब इस कुख्यात नक्सली को दो साल में दूसरी बार यूं कराया सरेंडर

      बीते कल गुरुवार को सीआइडी की टीम ने उसे चाईबासा स्थित सिविल कोर्ट में प्रस्तुत किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। नक्सली रणवीर पात्रो मूल रूप से ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के नोनीपाड़ा थाना क्षेत्र स्थित सलाईपाली का रहने वाला है....

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्क। झारखंड के कुचर्चित चाईबासा जेल ब्रेक कांड के फरार नक्सली रणवीर को झारखंड पुलिस ने दो साल बाद पुनः सरेंडर कराया है।

      हार्ड कोर कमांडर रणवीर इससे पहले 3 मार्च, 2019 को पत्नी संग उसने आत्मसमर्पण किया था। तत्कालीन एसपी ने जेल ब्रेक में फरार नक्सली के रूप में सरेंडर कराया था।

      खबर है कि चाईबासा जेल ब्रेक में फरार नक्सली रणवीर पात्रो उर्फ रणवीर उर्फ गोइंदा गगराई उर्फ बणे वर उर्फ सोमाय पात्रो ने इस बार उड़ीसा में झारखंड अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

      रणवीर ने दो साल पहले तीन मार्च 2019 को भी उसने चाईबासा के तत्कालीन एसपी चंदन झा के सामने पत्नी शांति कंडुलना उर्फ अलबिना कंडुलना सहित आत्मसमर्पण किया था। उस वक्त दोनों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम था।

      तब एसपी चाईबासा चंदन झा ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया  था कि रणवीर चाईबासा जेल ब्रेक में शामिल होने वाला नक्सली है और दोनों अनमोल दस्ते के सदस्य हैं।

      लेकिन, यहां पुलिस ने रणवीर को जेल ब्रेक केस में उसे रिमांड नहीं किया और वह जेल से छूटकर अपने गांव चला गया था।

      चाईबासा जेल ब्रेक कांड की जांच कर रही सीआइडी ने अनुसंधान के दौरान रणवीर की तलाश शुरू की। सीआईडी अनुसंधान में रणवीर फरार घोषित हो गया था।

      उसके बाद सीआईडी को पता चला कि रणवीर उड़ीसा में है और जब सीआइडी ने उससे संपर्क साधा तो उसने उड़ीसा में ही आत्मसमर्पण की इच्छा जताई। झारखंड सीआइडी की टीम ओडिशा गई, जहां उसने बड़े दुलाक के बीच सीआइडी के सामने आत्मसमर्पण किया।

      दरअसल, कैदियों की फरारी का यह मामला 09 दिसंबर 2014 की है। तब चाईबासा जेल ब्रेक कांड में चाईबासा के सदर थाने में कांड संख्या 108/14 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

      इस कांड में कुल 20 कैदियों ने भागने की कोशिश की थी, जिनमें दो नक्सलियों को पुलिस ने मार गिराया था। उनमें दोनों सगे भाई राम विलास तांती व टीपा दास शामिल थे।

      वहीं, तीन नक्सली घायल हुए थे, जिनमें सुखराम हेस्सा पूर्ति, करण चाकी व जोजो बारी शामिल थे। जो 15 कैदी भागने में सफल हुए थे, उनमें आठ नक्सली व सात अपराधी थे।

      उन्हीं, फरार कैदियों में एक नक्सली जॉनसन गंझू उर्फ चंदर गंझू घटना के तीन महीने के बाद ही मनोहरपुर के रोंगो गांव में ग्रामीणों के हाथों मारा गया था।

      चंदर गंझू माओवादी संगठन का जोनल कमांडर था और उसपर तब तीन लाख रुपये का इनाम रखा गया था। वह अपनी पत्नी अनिता गंझू के साथ अगस्त 2014 में पकड़ा गया था।

      चाईबासा जेल ब्रेक की घटना तब घटी थी, जब चाईबासा मंडल कारा स्थित बाहरी परिसर में पहुंचते ही कैदी वाहन के रक्षकों पर हमला कर कैदी भाग खड़े हुए थे।

      अन्य फरार 15 कैदियों में में विमल गुड़िया, जॉनसन गंझू, सालुका कायम, चोकरो चाकी, सुभाष उर्फ छोटू गंझू, सूर्यम उर्फ सियाराम, चंद्र हांसदा उर्फ अमित हांसदा, संजय बोदला उर्फ बिरसा बोदरा, विशु बोदरा, सहदेव महतो, गुरा नाग उर्फ डीके नाग, बिंज हांसदा, गुना उर्फ रूईदास हांसदा, माटू बाडिंग व रामवीर पात्रो शामिल थे। जिनमें 13 कैदी अब भी फरार हैं।

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