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    Thursday, April 25, 2024
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      झारखंड के इस बड़े अस्पताल में मर गई संवेदना, जब एक लाचार पिता अपनी मासूम बेटी…

      जमशेदपुर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। झारखंड के अति संवेदनशील  कोल्हान क्षेत्र के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में एक बार फिर से मानवता शर्मसार हुई है। जो कि इस अस्पताल के लिए यह कोई नई बात नहीं है।

      भले कोल्हान की धरती ने 3-3 मुख्यमंत्री राज्य को दिए। राज्य को 6-6 मंत्री दिए हों, लेकिन कोल्हान का दुर्भाग्य देखिए कि यहाँ आज भी सालाना करोड़ों रुपए के बजट वाली एमजीएम अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।

      Condolences in this large hospital in Jharkhand when a helpless father is his innocent daughter… 1आप इस तस्वीर में देख सकते हैं कि एक अभागा बाप अपनी मासूम बीमार बेटी को स्ट्रेचर और ईलाज के अभाव में गोद में लेकर अपनी पत्नी के साथ अस्पताल में दर-दर की ठोकरें खाकर थक हारकर उसकी मां के हवाले कर अस्पताल में कुर्सी पर बैठ गया।

      न कोई अस्पताल कर्मी और न कोई चिकित्सक, इस मासूम के ईलाज के लिए कोई भी आगे नहीं आए। जबकि एक बाप अपने मासूम बेटी को लेकर कभी अस्पताल के नए बिल्डिंग, कभी पुराने बिल्डिंग, कभी इमरजेंसी वार्ड तो कभी एडमिनिस्ट्रेशन बिल्डिंग के चक्कर लगाता रहा।

      इससे पहले मासूम के परिजनों को उसे अस्पताल लाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। मासूम पड़ोसी जिला सरायकेला के गम्हरिया की रहनेवाली है। उसकी तबियत बिगड़ने पर उसके परिजनों ने पहले 108 एम्बुलेंस को फोन किया। एम्बुलेंस ने आने से इंकार कर दिया।

      थक हारकर बाप अपनी बेटी को कंधे पर टांग कर मोटरसाइकिल से 15 किलोमीटर की दूरी से अस्पताल पहुंचा। जहां अस्पताल के कर्मचारियों ने मानवता का घिनौना चरित्र दिखा दिया।

      जबकि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, जोकि जमशेदपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हैं, जिनके निर्देश पर एमजीएम अस्पताल में उनके विशेष दूत का कार्यलय भी है। सब नकारे बने रहे।

      सवाल उठता है कि आखिर उस वक्त वह विशेष दूत कहां था, जब एक बाप अपनी मासूम को कंधे पर लेकर इधर- उधर तड़प रहा था। जब मंत्री के घर में यह हालत है तो सूबे के अन्य अस्पतालों का मंजर क्या होगा?

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