Home आस-पड़ोस यूं वसूली करने में व्यस्त है भागलपुर कोतवाली थाना पुलिस

यूं वसूली करने में व्यस्त है भागलपुर कोतवाली थाना पुलिस

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भागलपुर (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। एक तरफ वैश्विक महामारी  के इस त्रासदी में पत्रकार अपने परिवार की चिंता छोड़ दिन रात पल-पल की गतिविधियों पर अपने संस्थानों को अवगत कराने में जुटे हुए हैं।

वहीं दूसरी तरफ पत्रकार के परिजन पुलिसकर्मियों के के कोपभाजन का शिकार हो रहे हैं। मामला बिहार के भागलपुर पुलिस से जुड़ा है। लॉकडाउन में बहुतेरे पुलिस वाले इंसानियत की रक्षा करने में जुटे हैं, वहीं कुछ स्वार्थी पुलिस वाले इसे कमाई का जरिया बनाए हुए हैं।

bhagalpur police cruption 1 1बताया जा रहा है कि झारखंड के जमशेदपुर में एक निजी समाचार चैनल के जमशेदपुर ब्यूरो संतोष कुमार के माता-पिता लॉकडाउन के कारण अपने पैतृक गांव बिहार के भागलपुर के सन्हौला थाना अंतर्गत पोठिया में फंस गए।

वैसे पत्रकार के पिता बीपी चौधरी हृदय के रोगी हैं, जिनका 2012 में बाईपास सर्जरी हुआ था और उन्हें नियमित रूप से दवा लेना पड़ता है। लॉक डाउन के कारण उनकी दवाई समाप्त हो गई।

उनके पत्रकार पुत्र ने जमशेदपुर से ही अपने चेचेरे भाई को व्हाट्सएप पर दवा का प्रिस्क्रिप्शन भेज दिया और भागलपुर में रह रही अपनी बहन से दवा खरीदकर भाई को दे देने को कहा।

इधर मंगलवार को शाम के वक्त भाई अपने निजी मोटरसाइकिल से दवा लेने भागलपुर के लिए निकला इसी बीच कोतवाली थाना पुलिस द्वारा पत्रकार के भाई को लॉक डाउन के तहत नियम तोड़ने का हवाला देते हुए जबरन 500 रुपए वसूल लिए। हालांकि मांग की शुरुआत 5000 रुपए से हुई और कोतवाली पुलिस 500 रुपए पर आकर टिकी।

पत्रकार का भाई दवाई लेने जाने की दुहाई देता रहा, प्रिस्क्रिप्शन दिखता रहा। मिन्नतें करता रहा। मगर सुशासन बाबू के भ्रष्ट पुलिस कर्मियों का दिल नहीं पसीजा और जुर्माना वसूलकर ही दम लिया।

वैसे दवाई दुकानों को लॉक डाउन में छूट देने की घोषणा की गई है दूसरी तरफ दवा लेने पहुंच रहे लोगों पर बिहार पुलिस का ये सितम वो भी ऐसे मरीज के लिए जिसे हर दिन दवा की सख्त जरूरत है।

यहां ये भी गौर करने वाली बात है कि बिहार पुलिस के इस रवैये से झारखंड में दिनरात जान हथेली पर रखकर इस वैश्विक महामारी के दौर में पत्रकारिता कर रहे पत्रकार पर क्या बीत रहा होगा।

बहरहाल, बिहार पुलिस के इस शर्मनाक हरकत ने अपने इस आचरण से वैसे तमाम पत्रकारों को ठेस पहुंचाया है, जो उंनसे  कम संसाधनों के बीच अपने परिजनों की चिंता छोड़ इस महामारी के दौर में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं।

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