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FFC के FIR से उठे सवाल, चावल घोटाले को दबाने का हो रहा था प्रयास!

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सवाल उठता है कि एक आरोप में दो एफआईआर क्यों? एसएफसी के जिला प्रबंधक जिस पत्र को एफआईआर का आधार बनाया वह पत्र भी करीब एक पखवारा पहले की है…

एक्सपर्ट मीडया न्यूज। जिलास्तरीय जांच कमिटि द्वारा करीब तीन माह पहले किए गए खुलासे के बाद शुक्रवार को हिलसा के बीएओ (प्रखंड कृषि पदाधिकारी) शंकर राम द्वारा थाने में करीब पौने दो करोड़ रुपये के चावल गबन का मामला दर्ज करवा दिया गया।HILSA CRUPTION 2

इसके ठीक एक दिन बाद एसएफसी के नालंदा जिला प्रबंधक द्वारा उक्त आरोप के संबंध में दूसरी एफआईआर दर्ज करवा दी गई। दोनों एफआईआर में आरोप एक ही है, लेकिन आरोपियों में अंतर है।

बीएओ शंकर राम द्वारा दर्ज कराए गए एफआईआर में गोदाम में प्रतिनुक्त एसएफसी कर्मी संजीव कुमार को नामजद अभियुक्त बनाया गया।

जबकि एसएफसी के जिला प्रबंधक द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में बीएओ शंकर राम, ईए (कार्यपालक सहायक) संजीव कुमार को नामजद के साथ-साथ गोदाम से जुड़े मिलर और पैक्स को भी अभियुक्त बनाया गया।

अब सवाल उठता है कि एक आरोप में दो एफआईआर क्यों? एसएफसी के जिला प्रबंधक जिस पत्र को एफआईआर का आधार बनाया वह पत्र भी करीब एक पखवारा पहले की है।

जबकि बीएओ द्वारा दर्ज कराए गए एफआईआर में इस बात का जिक्र किया गया कि जिलास्तरीय जांच टीम की जांच में गोदामों में चावल कम होने का मामला प्रकाश में आया चुका था, जिसकी पुष्टि ईए संजीव कुमार द्वारा गहराई से बोरों की गणना के बाद हुआ।

जब जिलास्तरीय टीम जांच की थी तो क्या जिला स्तर के पदाधिकारी को गबन की भनक नहीं लगी थी। अगर गबन की भनक लग चुकी थी तो जिलास्तर से पहले एफआईआर क्यों नहीं कराई?

क्या सब कुछ जानकर सभी मामले को रफा-दफा करना चाहते थे? ऐसे कई यक्ष प्रश्नों को लेकर आमजनों में शुरु हुई चर्चा आने वाले दिनों में क्या गुल खिलाएगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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