नालंदा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर में बड़े पैमाने पर जारी सरकारी जमीन की लूट मामले में आला अफसरों की हैरतअंगेज भूमिका सामने आई है।
यह मामला राजगीर मौजा में चिन्हित कुल 17 एकड़ 10 डिसमिल सरकारी भूमि से जुड़ा है। जिसमें नालंदा जिला उप समाहर्ता, समाहर्ता से लेकर बिहार सरकार के भूमि सुधार विभाग के संयुक्त सचिव तक की भूमिका काफी संदिग्ध नजर आ रही है।
उपरोक्त सभी स्तर से यथोचित कार्रवाई के आदेश-निर्देश तो दिए गए हैं, लेकिन किसी भी स्तर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि राजगीर मौजा में अरबों रुपए के जिस 17 एकड़ 10 डिसमिल की सरकारी भूमि की लूट हुई है, वह किस खाता, खसरा या प्लॉट संख्या में दर्ज है
प्राप्त दस्तावेज के अनुसार बिहार सरकार के संयुक्त सचिव ने अपने कार्यालय पत्रांक-753, दिनांकः 19.07.2021 के तहत नालंदा जिला समाहर्ता को उनके पत्रांक- 917, दिनांकः 07.04.2021 के आलोक में एक पत्र प्रेषित किया गया है।
इस पत्र में मौजा राजगीर में 17 एकड़ 10 डिसमिल सरकारी भूमि के संरक्षण हेतु उसके हस्तान्तरण-निबंधन पर रोक लगाने, पूर्व में कायम हुई सभी जमाबंदी को रद्द-निरस्त 15 दिन के भीतर अपर समाहर्ता के यहाँ मामला दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं।
साथ ही उपरोक्त पत्र में आगामी 8 अगस्त, 2021 तक भूमि एवं राजस्व विभाग, बिहार सरकार, पटना को अनुपालन प्रतिलिपि भी उपलब्ध कराने के आदेश दिए गए हैं।
इस आदेश-निर्देश पर नालंदा जिला पदाधिकारी ने अपने कार्यालय पत्रांक-4437, दिनांकः 20.07.2021 को नालंदा अपर समाहर्ता को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के संयुक्त सचिव के निर्देशों की छाया प्रति उपलब्ध कराते हुए तीन दिनों के भीतर अनुपालन और अग्रेतर कार्रवाई करने के आदेश दिया है।
इसके बाद राजगीर अंचलाधिकारी ने अपने कार्यालय पत्रांक- 1031, दिनांकः 28.07.2021 को राजगीर मौजा के राजस्व कर्मचारी को प्राप्त आवेदन पत्र में अंकित बिन्दुओं का अनुपालन करते हुए अबिलंब प्रतिवेदन देना सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।
बहरहाल, जिस तरह से नीचे से उपर तक जिम्मेवार आला हुकुमरानों ने खाता, खसरा या प्लॉट संख्या छुपाते हुए एक दूसरे को निर्देश दिया है, उसमें एक बड़ी बेईमानी साफ झलकती है।
आखिर राजस्व कर्मचारी अपनी रिपोर्ट में 17 एकड़ 10 डिसमिल भूमि में अपने स्तर से राजगीर मौजा के किन-किन खाता, खसरा या प्लॉट संख्या को अंकित करेगा, यह भी कम चौंकाने वाली बात नहीं होगी।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर मौजा के अरबो-खरबों रुपए मूल्य के जिस 17 एकड़ 10 डिसमिल सरकारी भूमि के बंदरबांट का मामला सामने आया है, उसके काले कारोबार में स्थानीय स्तर से लेकर नई दिल्ली स्तर के नेता, जनप्रतिनिधि और ब्यूरोक्रेट शामिल हैं। यही कारण है कि राज खुलने के भय से भूमि की पहचान छुपाई जा रही है। (जारी….)
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