पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार के नालंदा जिला अवस्थित पावापुरी मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में अब तक न्यूरोलिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट समेत कई रोगों के सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर तक पदस्थापित नहीं हैं। लिहाजा इन रोगों के मरीजों को इलाज के लिए पटना रेफर करना पड़ता है। जिससे मरीजों के साथ-साथ उनके परिजनों को भी फजीहत उठानी पड़ती है।
यहां प्रायः स्थिति यह हो जाती है कि गंभीर रूप से बीमार रोगियों को समय पर इलाज नहीं होने से पटना जाने के दौरान रास्ते में ही जान भी गंवानी पड़ती है। यह अस्पताल पिछले आठ वर्षों से संचालित हो रहा है।
प्रतिदिन दर्जनों मरीजों को हायर सेंटर करना पड़ता रेफर: विम्स पावापुरी अस्पताल पिछले आठ वर्षों से संचालित किया जा रहा है। ओपीडी से लेकर आकस्मिक चिकित्सा की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। परंतु अब तक यहां पर न्यूरोलिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट जैसे सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती अब तक नहीं हो पायी है।
न्यूरोलिस्ट के पदस्थापित नहीं रहने से हेड इंज्यूरी वाले रोगियों को प्राथमिक उपचार के बाद पीएमसीएच आदि हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है। अस्पताल में सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर की कमी के कारण प्रतिदिन दर्जनों मरीज हायर सेंटर रेफर हो रहे हैं। सबसे बुरा हाल सड़क दुर्घटना या मारपीट में घायल लोगों का हो रहा है। उन्हें न्यूरोलॉजी के डॉक्टर नहीं रहने से हायर सेंटर रेफर किया जा रहा हैं।
बता दें कि करोड़ों की लागत से बना पावापुरी अस्पताल के उद्घाटन के आठ साल बीत गये। पिछले वर्ष सूबे की सरकार ने वर्धमान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी का नाम बदलकर भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी कर दिया। अस्पताल का नाम बदल गया। रंगाई पुताई और बैनर पोस्टर भी लग गए। लेकिन स्थानीय सहित दूर दराज से आने वाले मरीजों को मूलभूत सुविधाओं में वृद्धि नहीं हो पायी है।
इस अस्पताल में नालंदा नवादा शेखपुरा जमुई जैसे जिलों के हजारों मरीजों को न्यूरोलॉजी डॉक्टर के सुविधा नहीं मिल पा रहीं हैं। नतीजतन न्यूरो (मस्तिष्क, नस, मांसपेशियों और रीढ़ आदि से संबंधित) के गंभीर मरीजों के इलाज में पावापुरी मेडिकल कॉलेज हाथ खड़े कर दे रहा है। इमरजेंसी ही नहीं, ओपीडी के भी गंभीर मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है।
पावापुरी मेडिकल कॉलेज सटे रांची पटना फोरलेन है। जहां प्रतिदिन दर्जनों एक्सीडेंटल केस पावापुरी मेडिकल कॉलेज पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद गंभीर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों को समय से उपचार न मिलने की वजह से उनकी सांसे वहीं दम तोड़ देती हैं। सुविधा मिलने की आस में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। हेड इंज्युरी के मरीजों को सीधे 90 किलोमीटर दूर पटना स्थित आईजीएमएस या पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है।
ओपीडी में हर दिन आते हैं दो से ढाई हजार मरीजः यहां रोज अस्पताल के ओपीडी में विभिन्न विभागों में चिकित्सा परामर्श लेने के लिए दो से ढाई हजार लोग रजिस्ट्रेशन कराते हैं। मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की काफी कमी है। यहां पर न्यूरोलॉजिस्ट के अलावा कार्डियोलॉजिस्ट और नेफ्ररोलॉजिस्ट भी नहीं हैं। ऐसे में हृदय रोग और किडनी रोग से संबंधित मरीजों को भी इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है। हालांकि सीटी स्कैन और सोनोग्राफी की सुविधा मिल पा रही है।
वहीं, विम्स अस्पताल अधीक्षक डॉ. अरुण कुमार सिन्हा का कहना है कि अस्पताल में सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर की कमी है। न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञ डॉक्टर पदस्थापित नहीं हैं। इसके लिए विभाग को पत्राचार के माध्यम से अवगत कराया जा चुका है।