एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्कः भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय अब सीबीएसई बोर्ड परीक्षा को लेकर बड़े बदलाव की तैयारी करने में जुटी है। इससे छात्रों को बोर्ड परीक्षा के तनाव से मुक्ति तो मिलेगी ही, उसके ज्ञान का आंकलन भी सरल तरीके से हो सकेगा।
खबरों के मुताबिक अब छात्रों का आकलन किसी एक परीक्षा से नहीं होगा, बल्कि उनका रिजल्ट उनकी साल भर की पढ़ाई के आधार पर तैयार होगा।
इसमें जो अहम बदलाव प्रस्तावित हैं। उनमें परीक्षा का एक ऐसा माड्यूल विकसित किया जा रहा है, जिसमें पूरे कोर्स की परीक्षा कई हिस्सों में ली जाएगी। सवाल भी सोच आधारित होंगे। यानी रट्टा मारने वालों के दिन अब लदेंगे।
मंत्रालय ने बोर्ड परीक्षाओं के साथ दूसरी कक्षाओं को लेकर भी समान तैयारी शुरू की है। विश्वविद्यालयों सहित मेडिकल और इंजीनियरिंग में दाखिले को लेकर होने वाली प्रवेश परीक्षाओं को लेकर जिस तरह से तनावपूर्ण माहौल और प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, उसे देखते हुए शिक्षा मंत्रालय परीक्षाओं में बदलाव को लेकर जल्दी में भी है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में परीक्षा सुधार को लेकर कहा गया है कि परीक्षा में कुछ इस तरह से बदलाव होना चाहिए कि कोचिंग और रट्टा मार कर आगे आने वालों की जगह ऐसे छात्र आगे आ सकें, जो वाकई में बेहतर है।
इसके साथ ही बोर्ड परीक्षाओं को भी कुछ इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है, जिसमें कक्षाओं में नियमित पढ़ाई करने वाला छात्र आसानी से पास कर सकेगा। इस पूरी प्रक्रिया में परीक्षा को कोर्स के छोटे-छोटे हिस्सों में आयोजित करने की तैयारी है।
मंत्रालय के मुताबिक इस पहल से पूरे कोर्स की एक साथ ही परीक्षा को लेकर छात्रों में होने वाले तनाव में कमी आएगी। हालांकि यह प्रयास तभी सफल होगा, जब बदलाव की इस पहल को सीबीएसई के साथ राज्यों के शिक्षा बोर्ड भी तय समय पर अपनाएं। फिलहाल शिक्षा मंत्रालय इस संबंध में राज्यों के संपर्क में है।
शिक्षा मंत्रालय की यह पहल सिर्फ बोर्ड परीक्षाओं तक सीमित नहीं रहने वाली है। वह बाकी कक्षाओं की परीक्षा के तरीके में बदलाव के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसमें छात्रों से चैप्टर खत्म होने के बाद ही एक टेस्ट लिया जाएगा, जो पूरी तरह से उसके ज्ञान को परखने के लिए होगा।
इसके आधार पर ही परीक्षा का अंतिम परिणाम तैयार किया जाएगा। इसके लिए सीबीएसई ने अपने स्कूलों में सरल और परख नाम की दो नई पहल भी शुरू की है, जो जल्द ही सभी स्कूलों में देखने को मिलेंगी।
बोर्ड परीक्षाओं में बदलाव की जो एक बड़ी पहल होगी, उनमें अब छात्रों से ऐसे सवाल पूछे जाएंगे, जो सोच आधारित होंगे। इससे उनकी सही योग्यता और क्षमता की परख होगी।
फिलहाल वर्ष 2021-22 की बोर्ड परीक्षा में ऐसे 20 प्रतिशत सवाल होंगे, जो बहुविकल्पीय (एमसीक्यू), शार्ट आंसर टाइप (कम शब्दों के जवाब देने वाले) और लांग आंसर टाइप (शब्दों की सीमा नहीं होगी) आदि प्रकार के होंगे। हालांकि 2025 तक बोर्ड परीक्षा में शत-प्रतिशत सवाल सोच आधारित ही होंगे।