“बिहार सरकार की परीक्षाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ईओयू का यह कदम एक मिसाल बन सकता है। यह कार्रवाई न केवल परीक्षा माफियाओं के खिलाफ एक सख्त संदेश है, बल्कि बिहार में पारदर्शी और निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया को पुनः स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है…
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के बहुचर्चित पेपर लीक मामले में पटना के तीन प्रमुख कोचिंग संस्थान आर्थिक अपराध इकाई (EOU) के रडार पर आ गए हैं। जांच में इनकी संलिप्तता के ठोस सबूत मिलने के बाद इन पर कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
ईओयू के डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अहम जानकारियाँ साझा कीं और आगे बताया कि नीट और बीपीएससी पेपर लीक कांड के मास्टरमाइंड संजीव कुमार उर्फ संजीव मुखिया की गिरफ्तारी पर लगी रोक हटा दी गई है।
डीआईजी के अनुसार जांच में पता चला है कि सरकारी कर्मचारी रह चुके संजीव मुखिया ने अवैध तरीके से बड़ी संपत्ति अर्जित की। उसके पास से 11.5 लाख रुपये नकद, 8 प्लॉट, एक फ्लैट और 12 बैंक खातों की जानकारी जब्त की गई है। अब ईओयू ने कोर्ट से संजीव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट और कुर्की के आदेश की मांग की है।
डीआईजी ढिल्लों ने बताया कि संजीव मुखिया पर आर्थिक चोट पहुंचाने के लिए ईओयू ने कमर कस ली है। उसकी चल-अचल संपत्तियों की विस्तृत जानकारी जुटाकर उन्हें जब्त किया जाएगा। साथ ही उसके ऊपर लगे डीए केस को मजबूत करने के लिए सभी सबूत कोर्ट में पेश कर दिए गए हैं।
ईओयू ने 2012 से अब तक 10 प्रमुख पेपर लीक मामलों की जांच की है। इनमें 545 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। जिनमें से 249 के खिलाफ चार्जशीट दायर हो चुकी है। पेपर लीक मामलों की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने मॉडल एक्ट 2024 लागू किया है। जिसके तहत दोषियों को 10 साल तक की सजा और 1 करोड़ से 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।
ईओयू अब परीक्षा शुरू होने से पहले ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों के सर्वर और कंप्यूटरों की जांच करेगा। यदि किसी परीक्षा केंद्र या कोचिंग संस्थान की संलिप्तता पाई जाती है तो उनकी संपत्तियां जब्त की जाएंगी। साथ ही इनसे सरकार को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई भी करवाई जाएगी।
ईओयू ने बिहार समेत उत्तर प्रदेश, झारखंड, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र पुलिस के सहयोग से 170 आरोपियों का विस्तृत डाटाबेस तैयार किया है। जांच में शामिल लोक सेवकों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) के तहत कार्रवाई होगी। जबकि गैर-लोक सेवकों के खिलाफ मॉडल एक्ट 2024 के प्रावधानों के तहत संपत्ति जब्त की जाएगी।
ईओयू के डीआईजी ने कहा कि पेपर लीक की घटनाओं ने बिहार की परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर गहरा आघात किया है। इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। पिछले 10-12 वर्षों में संगठित अपराधियों ने इस क्षेत्र में जो संपत्ति अर्जित की है। उसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के जरिए जब्त किया जाएगा।
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