पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के सक्षमता परीक्षा में फेल करने वालों की नौकरी नहीं जाएगी। हाईकोर्ट में दायर प्रति शपथ-पत्र में शिक्षा विभाग ने यह जानकारी दी है।
शपथ पत्र में साफ कहा गया है कि विभिन्न स्थानीय निकायों द्वारा नियोजित सभी शिक्षकों को विशिष्ट शिक्षक बनने के लिए सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण करने पर एक एकल कैडर के रूप में उनका विलय हो जाएगा। उनकी सेवा शर्तें विशिष्ट शिक्षक बीपीएससी से नियुक्त शिक्षकों को नियमों द्वारा विनियमित होंगी और वे देय वेतन और अन्य लाभ के हकदार होंगे।
जो लोग सक्षमता परीक्षा में शामिल नहीं होंगे या उत्तीर्ण नहीं होंगे, वे स्थानीय निकाय शिक्षक बने रहेंगे। यानी, विशिष्ट शिक्षक नियमावली में सक्षमता परीक्षा में उपस्थित न होने या उत्तीर्ण न होने के कारण किसी की भी बर्खास्तगी की परिकल्पना नहीं की गई है।
समरेन्द्र बहादुर सिंह बनाम बिहार सरकार याचिका (केस संख्या CWJC 2922/2024) हाईकोर्ट में दायर थी। जिसकी सुनवाई के क्रम में कोर्ट ने शिक्षा विभाग को स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। इसके बाद विभाग ने यह प्रति शपथ-पत्र कोर्ट में जमा किया है।
हाईकोर्ट में याचिका का आधारः इस सक्षमता परीक्षा के फैसले के बाद से नियोजित लिए हो रही परीक्षा में सफल नहीं होंगे, उनका क्या होगा? क्या उनकी नौकरी चली जाएगी? इसको लेकर राज्य के सभी शिक्षक भयभीत थे।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता बाली कमेटी ने सरकार से अनुशंसा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की की थी कि 5 बार परीक्षा में अनुपस्थित या अनुत्तीर्ण शिक्षकों की नौकरी जा सकती है। यही चिंता का विषय था। इसीलिए याचिका दायर की।
शिक्षा मंत्री ने क्या कहा थाः पिछले महीने शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा था कि शिक्षकों को हड़बड़ाने की जरूरत नहीं है। सरकार ने यह कभी नहीं कहा कि बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा। सक्षमता परीक्षा में फेल होने पर नियोजित शिक्षकों को सेवा से मुक्त करने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।
क्यों हुआ विरोध शुरुः शिक्षा विभाग के ने बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2023 के तहत सक्षमता परीक्षा पास करने वालों को राज्यकर्मी का दर्जा देने का आदेश निकाला था। कहा गया था कि इसके लिए उन्हें पांच मौके मिलेंगे। अगर बार-बार फेल हुए तो शिक्षक सेवा से हटा दिया जाएगा। शिक्षक संघ ने आंदोलन शुरू कर दिया था। राज्य में करीब 4 लाख नियोजित शिक्षक हैं और 2, 21, 255 आवेदकों ने सक्षमता परीक्षा के लिए आवेदन दिया था। क्या है
क्या है मांगः बिना शर्त नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए न तो ऑनलाइन और न ही ऑफलाइन परीक्षा ली जाए। वेतनमान 19300 से 34500 किया जाए। ग्रेच्युटी दी जाए। समानुपातिक वेतन वृद्धि होनी चाहिए।
क्या है तर्कः वर्ष 1971 में प्राइमरी स्कूलों का सरकारीकरण हुआ तब कोई परीक्षा नहीं ली गई थी। वर्ष 1980 में हाई स्कूलों का सरकारीकरण हुआ, तब भी कोई परीक्षा नहीं ली गई थी। वर्ष 1982 में अंगीभूत कॉलेजों का सरकारीकरण हुआ, तब भी परीक्षा नहीं ली गई।
कौन हैं नियोजित शिक्षकः नियोजित शिक्षक नगर निकाय के कर्मचारी हैं और वे पंचायत के अधीन भी होते हैं यानी वे राज्य सरकार के कर्मचारी नहीं कहलाते। स्थानीय निकाय के ये शिक्षक सरकारी स्कूलों में पढ़ाते हैं।
सीएम ने क्या कहा थाः नियोजित शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा मांग रहे थे। इसे ही पूरा करने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने पटना के गांधी में शिक्षक नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में कहा था कि एक औपचारिक परीक्षा लेकर नियोजित शिक्षकों को भी राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा।
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