Home देश आठ माह पहले ओडीएफ घोषित कई गांवों में नहीं बन सका शौचालय

आठ माह पहले ओडीएफ घोषित कई गांवों में नहीं बन सका शौचालय

“मुखिया से ले लिया गया है खुले में शौचमुक्त पंचायत का प्रमाण पत्र, कई लोगों को नहीं मिली अनुदान राशि, पथरौरा पंचायत के कहटा में अधूरा बना शौचालय”

NALANDA DM
ग्रामीणों के बीच नालंदा के डीएम डॉ. त्यागराजन …….

राजगीर प्रखंड को जिले का पहला खुले में शौचमुक्त प्रखंड होने का गौरव तो मिला, लेकिन जमीनी हकीकत वैसी नहीं है, जैसी जिले के सरकारी बाबुओं ने बता रखी है।

लोहिया स्वच्छता योजना के तहत प्रखंड को ओडीएफ घोषित करने की हड़बड़ी में इतनी गड़बड़ी की गई है कि यह सवाल उठने लगा है कि जब तक प्रखंड पूरी तरह ओडीएफ नहीं होता, तब तक घोषित करने की जरूरत ही क्या थी।

ऐसी स्थिति पैदा कर दी गई थी, जिसमें व्यवहार परिवर्तन से ज्यादा शौचालय निर्माण पर जोर दिया जा रहा था।

हड़बड़ी में की गई गड़बड़ी

स्थिति यह है कि जहां शौचालय बन गया है, वहां के लोग भी खुले में शौच जा रहे हैं। 27 दिसम्बर 2016 को अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में डीएम सहित तमाम वरीय पदाधिकारियों की मौजूदगी में सभी नौ पंचायतों के मुखिया से प्रमाण पत्र लेकर प्रखंड को ओडीएफ घोषित कर दिया गया था।

29 दिसम्बर को सात निश्चय योजना के तहत हुए काम को देखने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहेतिया गांव आने वाले थे।

पहेतिया आने पर उन्हें बताया गया कि राजगीर खुले में शौचमुक्त बना दिया गया है, लेकिन आठ माह बाद भी कई जगहों पर जमीनी स्थिति इस घोषणा को मुंह चिढ़ाने वाली है।

कई गांवों में ऐसी स्थिति देखने को मिलेगी, जहां बड़े पैमाने पर शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है, या फिर आधा अधूरा निर्माण कर छोड़ दिया गया है। कई जगहों पर तो सिर्फ गड्‌ढे कर छोड़ दिए गए हैं। ऐसे लाभार्थियों की संख्या भी कम नहीं है, जिन्हें सहायता अनुदान नहीं मिला है।  

प्रखंड के केशरी विगहा और घसकपुर में हुए ओडीएफ की वास्तविकता और जमीनी हकीकत में काफी दूर का फासला था। आठ माह बाद भी यह फासला बहुत ज्यादा कम होता नहीं दिख रहा। (सूचना स्रोतः दैनिक भास्कर/ प्रमोद कुमार)

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