एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क डेस्क। पटना हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी और कड़े निर्देश के बाद बिहार पुलिस मुख्यालय गिरफ्तारी को लेकर विस्तृत गाइडलाइन जारी किया है। डीजीपी ने इस संबंध में सभी एसपी, डीआईजी और आईजी को पत्र भेजा है।
डीजीपी ने अपने आदेश में कहा है कि गिरफ्तारी के समय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41B,41C, 41D,45, 46, 50, 60 और 60 ए का सम्यक अनुपालन अपरिहार्य है। सभी पुलिस अधिकारी उक्त प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित कराएं।
DGP ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस द्वारा बिना वारंट गिरफ्तार करने की शक्ति संबंधी प्रावधान धारा-41 दंड प्रक्रिया संहिता में अधिनियम 2008 एवं दंड प्रक्रिया संहिता अधिनियम 2010 के माध्यम से संशोधन हुए थे, जो 1 नवंबर 2010 एवं 2 नवंबर 2010 से प्रभावी हुए। सर्वोच्च न्यायालय ने 7 मई 2021 को पारित न्यायादेश में कुछ आदेश दिए हैं जो निम्नलिखित है।
धारा 498 ए आईपीसी तथा 7 वर्ष से कम कारावास के मामले में अभियुक्तों को सीधे गिरफ्तार करने के बजाय पहले धारा 41 दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता के संबंध में पुलिस अधिकारी संतुष्ट हो लेंगे।
सभी पुलिस अधिकारी धारा 41 के प्रावधानों के अनुपालन में चेक लिस्ट प्रयोग करते हुए संतुष्ट होकर ही अभियुक्त की गिरफ्तारी करेंगे।
तीसरा प्रावधान है कि धारा 41 के विभिन्न उक्त उपधारा के प्रावधानों के तहत पुलिस द्वारा अगर किसी अभियुक्त की गिरफ्तारी आवश्यक नहीं समझी जाए तो प्राथमिकी अंकित होने के 2 सप्ताह के भीतर संबंधित न्यायालय को ऐसे अभियुक्तों का विवरण भेज दें। 2 सप्ताह की अवधि पुलिस अधीक्षक द्वारा बढ़ाई भी जा सकती है।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत उपस्थिति का नोटिस प्राथमिकी अंकित होने के 2 सप्ताह के भीतर तमिला करा देना है। 2 सप्ताह की अवधि पुलिस अधीक्षक द्वारा वाजिब कारण के साथ बढ़ाई जा सकती है।
इन निर्देशों का पालन करने में असफल रहने वाले पुलिस अधिकारी विभागीय कार्यवाही के साथ-साथ न्यायालय की अवमानना के दंड के भागी होंगे।
डीजीपी ने कहा है कि वर्णित पांचों कारणों में से यदि एक भी कारण मौजूद होगा तो गिरफ्तारी न केवल उचित होगी, बल्कि कानूनी रूप से भी अपरिहार्य होगा। जिन अभियुक्तों की गिरफ्तारी नहीं की गई उनके विवरण की समीक्षा प्रत्येक मासिक अपराध समीक्षा बैठक में पुलिस अधीक्षक द्वारा आवश्यक रूप से की जाएगी।
चेक लिस्ट का संधारण एवं मूल्यांकन अलग अलग अभियुक्तों के लिए अलग अलग होना है, क्योंकि एक ही कांड में अलग-अलग अभियुक्तों की परिस्थितियां तथा सामग्री अलग-अलग हो सकती है।
यदि कोई व्यक्ति इन धाराओं में संज्ञेय अपराध किसी पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में करता है तो उसकी गिरफ्तारी बिना वारंट के की जा सकती है। भले ही ऐसे अपराध की सजा कितनी कम क्यों ना हो। धारा 41 के प्रावधान दंड प्रक्रिया संहिता के अन्य प्रावधानों पर अधिप्रभावी नहीं होते हैं।
I.P.C section 379 me accused ko 41A ka notice dena hai?