पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। पटना के ऐतिहासिक मोइनुल हक स्टेडियम में खेले जा रहे बिहार और कर्नाटक के बीच रणजी ट्रॉफी मैच के दौरान एक दिलचस्प और अप्रत्याशित नजारा देखने को मिला। लगातार बारिश के चलते मैदान की स्थिति इतनी खराब हो गई कि दूसरे दिन का खेल पूरी तरह बाधित रहा।
हालांकि, इस चुनौती का सामना करने के लिए बीसीए (बिहार क्रिकेट एसोसिएशन) ने अनोखे तरीके अपनाए। जिनमें से सबसे अनोखा था फील्ड को सुखाने के लिए गोइठा जलाना।
ग्राउंड स्टाफ की कड़ी मेहनतः बता दें कि बारिश के बाद मैदान के कई हिस्सों में मिट्टी गीली हो गई थी। इससे खेल को फिर से शुरू करना मुश्किल हो गया। बीसीए के अधिकारियों ने बताया कि पहले हीटर और सुपर शकर मशीन का उपयोग कर मैदान को सुखाने का प्रयास किया गया।
परंतु यह प्रयास मैदान को खेलने योग्य स्थिति में नहीं ला पाया। स्थिति को देखते हुए ग्राउंड स्टाफ ने परंपरागत तरीका अपनाया। उन्होंने मैदान के विभिन्न हिस्सों में ट्रे पर गोइठा जलाकर सुखाने का प्रयास किया।
खिलाड़ियों की प्रतिक्रियाः फील्ड को सुखाने के इस तरीके ने खिलाड़ियों और दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। खिलाड़ियों ने इसे एक असाधारण स्थिति बताते हुए कहा कि यह मैदान पर भारतीय संस्कृति की एक झलक दिखाता है।
कर्नाटक टीम के कोच ने भी इस प्रयास की सराहना की और कहा कि यह देखना दिलचस्प था कि किस प्रकार परंपरागत तरीके आधुनिक खेल में भूमिका निभा सकते हैं।
सुधार की आवश्यकताः हालांकि इस प्रयास को स्थानीय क्रिकेट प्रेमियों ने सराहा। लेकिन यह स्थिति बिहार के खेल ढांचे में सुधार की जरूरत को भी उजागर करती है। दर्शकों ने इस पर सवाल उठाया कि क्या बिहार जैसे राज्य में जहां क्रिकेट का बुनियादी ढांचा अभी भी विकास के दौर से गुजर रहा है। ऐसे महत्वपूर्ण मैचों के लिए पर्याप्त सुविधाएं हैं?
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